इस दुर्लभ तन के अलावा एक और बात बहुत दुर्लभ है इंसान के हृदय में प्रभु प्राप्ति की जागृति होना.. इससे भी दुर्लभ है कि प्रभु मिल जाए, पूरा सतगुरू मिल जाए क्योंकि पूरा सतगुरू मिलना भी तो बहुत दुर्लभ है .. संत निरंकारी सत्संग भवन माधवनगर में सतना से पधारे महात्मा श्री रामसिया जी ने विचार व्यक्त किए
कटनी ( मुरली पृथ्यानी ) हम सत्संग में बैठे हैं कोई मनोरंजन के स्थान में नहीं बैठे हैं ना कोई मेले में बैठे हैं ये जो आपको मानव तन मिला है ये संसार की इस रचना में चौरासी लाख जूनियों के बीच में ये बहुत दुर्लभ है, इतनी दुर्लभ है कि नर तन सम नहीं कोने देही जीव। संसार के जीव चराचर हैं इस जूनी में आकर मानव तन में बैठ करके जीवात्मा नर्क भी जा सकती है स्वर्ग भी जा सकती है। ये तो एक ऐसा स्थान है जहां आपको ले आया गया है, इस दुर्लभ तन के अलावा एक और बात बहुत दुर्लभ है इंसान के हृदय में प्रभु प्राप्ति की जागृति होना। हीरे की दुकान में बहुत भीड़ नहीं रहती जितने आप आये हो भाग्यशाली हो क्योंकि आपके दिल में प्रभु पाने की इच्छा जागृत हुई दुर्लभ चीज आपको मिली और इससे भी दुर्लभ है कि प्रभु मिल जाए, पूरा सतगुरू मिल जाए क्योंकि पूरा सतगुरू मिलना भी तो बहुत दुर्लभ है। उक्त विचार संत निरंकारी सत्संग भवन माधवनगर में रविवार के सत्संग में हरदेव वाणी के शब्द पर सतना से पधारे महात्मा श्री रामसिया जी ने उपस्थित साध संगत के समक्ष व्यक्त किए। उन्होंने कहा एक बार माता पार्वती जी भोलेनाथ से पूछती है, आप ध्यान...