हमसे कहा जा रहा है याद हरि की पल पल कर ले .. हरि सत्य निराकार परमात्मा को कहा गया है .. चारों तरफ यही परमसत्ता है इसके अहसास से जीवन में सुख आता है .. सुमिरन बूंद से सागर बनने की प्रक्रिया है आत्मा से परमात्मा बनने की प्रक्रिया है .. संत निरंकारी सत्संग भवन माधवनगर में सतना ब्रांच के संयोजक डॉ जगदीश सेवानी जी ने विचार व्यक्त किए
कटनी ( मुरली पृथ्यानी ) हर इंसान सुख और मन की शांति चाहता है कि आनंद पूर्वक इस जीवन को जिया जायें। इंसान चाहता है कि मेरे जीवन में मुझे कोई दुख न हो, कोई कष्ट न हो, कोई तकलीफ न हो, कोई समस्या न हो, कोई तनाव न हो, कोई चिंता न हो। इंसान की चाहत में ये बात भी शुमार है कि मेरा कोई काम न रुके, हर काम सहज हो जाए। क्या ऐसा संभव है ? अवतार वाणी के माथ्यम से सारे संसार के लोगों को समझा रहें हैं कि ये सारी बातें संभव हैं। हमसे कहा जा रहा है याद हरि की पल पल कर ले। हरि सत्य निराकार परमात्मा को कहा गया है। मेरे चारों तरफ यही परमसत्ता है इसके अहसास से जीवन में सुख आता है, मन शांत हो जाता है जीवन सरल हो जाता है सहज हो जाता है, यह जीवन आनंद पूर्वक बीतता है जब यह प्रभु याद रहता है जब यह हमारे चित्त में रहता है। उक्त विचार संत निरंकारी सत्संग भवन माधवनगर में अवतार वाणी के शब्द पर सतना ब्रांच के संयोजक डॉ जगदीश सेवानी जी ने उपस्थित साध संगत के समक्ष व्यक्त किए। उन्होंने कहा कोई समस्या नहीं रहती है कोई दुख कोई तकलीफ कोई टेंशन कोई चिंता नहीं अगर ये प्रभु याद है हमारे ध्यान में है कि तू ही तो करने वाल