कटनी ( मुरली पृथ्यानी ) सभी रक्षा बंधन मना रहे है और अपनी अपनी बहनों से राखी बंधवा कर उन्हें कुछ न कुछ अपनी हैसियत अनुसार जरूर देंगे तोहफे में.. मैं भी कुछ मुट्ठी भर पैसे कमा लूँ तो ही तो घर जाऊं...क्या करू रक्षा बंधन तो वैसे ही सारा साल मनाता हूँ.... अपने बीवी बच्चों का पेट भरने का बंधन है मुझ पर ....बेटियों की शादी भी करनी है...मेरी बहन अपने ससुराल में है ....राखी भेज दी है...जब आएगी ...कुछ उसे भी दूंगा ...छोटी थी साथ में खेलती थी तब जीवन में गुजारे का संघर्ष न था.. जैसे जैसे बड़े हुए घर गृहस्थी को बोझ बढ़ गया..वह भी ससुराल में गृहस्थी संभालती है बस अब मिलना कम हो गया है.. साल भर में मुलाकात होती है उसकी अपनी भी जिमेदारियाँ बढ़ गई हैं...आपसे बात ही करता रहूँगा तो ..परिवार का रक्षा बंधन कैसे पूरा करूंगा।