आदरणीय महात्मा गाँधी जी, प्यार से में भी आपको बापू कहू तो चलेगा ना । आपको पत्र लिख रहा हू , में यहाँ पर कुशल मंगल से हू, आशा करता हू आप भी सुख चैन से होंगे । आप की याद आ गयी, साल में दो बार आपको जरूर याद कर लेता हू । कल आपकी पुण्यतिथि है, इसलिए यहाँ सरकारी तौर पर ड्राई- डे घोषित है... परसों सब वैसा का वैसा । वैसे कल ड्राई - डे घोषित है लेकिन पियक्कड़ो को कोई दिक्कत नहीं होगी इसकी गारंटी है । बापू , अब सरकारे इस से ज्यादा कुछ कर भी नहीं सकती और राजनीती करने वाले आपकी मूर्ति पर फूल चढाने से ज्यादा कुछ नहीं । बापू जी आज आप न शरीर रूप में है न विचार रूप में , हाँ आपके विचारो की आड़ जरूर बची है, जब जिसको जितनी जरुरत होती है वो आड़ ले लेता है । बापू यहाँ सब मस्त मस्त है ... जब तुम जीवित थे , तुमने जितना धन देश चलाने के लिए सोचा होगा उससे ज्यादा देश से बाहर पड़ा हुआ है । तुमने चाचा जवाहरलाल नेहरु को देश की बागडोर सौपी थी , वो