कटनी ( प्रबल सृष्टि ) कोतवाली क्षेत्रांतर्गत 13 मार्च को चाण्डक चौक के पास दोपहर 12. 35 बजे दो लड़के काले रंग की पल्सर मोटरसाइकिल से पीछे से आकर झपट्टा मारकर मोटर साइकिल सवार सुरेन्द्र सिंह पिता मान सिंह ठाकुर कर्मचारी मातेश्वरी लाईम इण्डस्ट्रीज पन्ना का बैग छीनकर भाग गए। कर्मचारी फर्म का पैसा बैंक से नगद निकलवाकर ऑफिस वापस जा रहा था। कर्मचारी ने बस स्टेण्ड की तरफ भागे उन दोनों लड़कों का कैलवारा मोड़ तक पीछा किया पर वे काफी स्पीड में मोटर सायकल चला रहे थे। आरोपी बैंक से ही उसके पीछे लगे थे। घटना के बाद अज्ञात आरोपियों के विरूद्ध अपराध पंजीबद्ध किया गया एवं कोतवाली पुलिस ने तत्काल वरिष्ठ अधिकारियों को घटना के संबंध में अवगत करा दिया। पत्रकार वार्ता में जानकारी देते हुए पुलिस अधीक्षक पुलिस अधीक्षक अभिजीत कुमार रंजन ने दिनदहाड़े मुख्य चौराहे पर घटित लूट की घटना को गंभीरतापूर्वक लेते हुए तत्काल समस्त जिले के चैक प्वाइंटों को अलर्ट करते हुए आवश्यक दिशा निर्देश दिए। पुलिस अधीक्षक के निर्देशन में एवं नगर पुलिस अधीक्षक महोदय के मार्गदर्शन में थाना प्रभारी कोतवाली निरी. आशीष शर्मा के नेतृ
यह शारीरिक अस्तित्व कल तुम्हारे हाथ से जाने वाला है चाहे दवाईयों का अच्छे पदार्थों का इंसान सेवन कर ले, फिर अभिमान किस चीज का हो रहा है ? अपने जीते जी इस परमपिता परमात्मा की जानकारी हासिल कर लें, संत निरंकारी सत्संग भवन माधवनगर में महात्मा सुनील मेघानी जी ने विचार व्यक्त किए
कटनी ( मुरली पृथ्यानी ) इंसान की पहचान के बारे में बाबा हरदेव सिंह जी हरदेवाणी में जिक्र कर रहे हैं कि इंसान अगर गहराई से विचार करें कि समुद्र में उठती हुई जो लहरें होती हैं उन लहरों का कोई अपना अस्तित्व नहीं होता और समुद्र और उठती हुए लहरें असल में एक ही हुआ करती है, लहरें अपना स्वरूप उस समुद्र में समाने लगती हैं तो वह समुद्र ही होती हैं। हरदेव वाणी में जिक्र है कि जीव इस परमपिता परमात्मा का अंश है, इसी का स्वरूप है लेकिन इसे याद नहीं है ये भूल बैठा है जो उसकी असल पहचान है। अगर विचार करें तो इस शरीर के तल की उसकी पहचान हो सकती है लेकिन इस आत्मिक तल का क्या ? इंसान इस शरीर के बारे में तो काफी विचार करता है उसके बारे में एनालिस करता है और प्रयोग भी संसार में इस शरीर के ऊपर ही हो रहे हैं। साइंस भी आज शरीर तक ही अपने प्रयोग कर रही है कि किस प्रकार से इस शरीर को स्वस्थ रखा जाए किस प्रकार इस शरीर का सही रूप में इस्तेमाल हो सके। हरदेव वाणी के शब्द पर उक्त विचार संत निरंकारी सत्संग भवन माधवनगर में रविवार के सत्संग में महात्मा सुनील मेघानी जी ने उपस्थित साध संगत के समक्ष व्यक्त किए। उन्होंने व