कटनी ( मुरली पृथ्यानी ) एक अच्छा विद्यार्थी जब अपना मूल्यांकन करता है तो सबसे पहले परिणाम आने पर यह देखता है कि उसके कम नंबर कितने हैं क्यों कम मिलें हैं और उससे कहां गलती हो गई है और उसे तब तक चैन नही मिलता जब तक उन कमियों को दूर करने का प्रयास नही करता और एक एक नंबर का विश्लेषण करता है, सही मायने में यही उसका अपना मूल्यांकन करना है और अगर कोई विद्यार्थी पास तो हो गया है और प्राप्त नंबरों से ही संतुष्ट होकर रह जाए तो अपनी कमियों को वह देख ही नही पाता। विजराघवगढ़ विधायक संजय पाठक ने क्षेत्र की जनता के बीच चुनाव लड़े या नही लड़े इसे लेकर जनादेश प्राप्त करने का जो चुनाव करवाया है उसमें 75 प्रतिशत जनों ने तो हां में स्वीकृति दी है लेकिन गौर करने वाली बात यह भी है कि उन्हें 25 प्रतिशत मतदाताओं ने ना भी की है। सामने से चुनाव लड़ने को पूछने पर 25 प्रतिशत मतदान का जवाब न में मिले तो एक अच्छे विद्यार्थी को जरूर मूल्यांकन करना चाहिए कि कहां कमी रह गई है और क्यों रह गई है ? और अगर विद्यार्थी पास हो जाए और मार्क शीट किनारे करके रख दे तो वह कैसे अपना मूल्यांकन कर सकता है ?
विधायक जी के भी कुछ यही शब्द थे अपने बंधुओ से बात करते हुए उन्होंने कहा था कि हर किसी को बिस्तर पर सोने जाने से पहले अपना मूल्यांकन करना चाहिए क्या-क्या दिन में किया क्या अच्छा हुआ क्या खराब हुआ और अब कुछ बिंदु विधायक जी के मूल्यांकन के लिए भी सामने आ रहे हैं। अपने विधायक जी को यह चाहिए कि वह इन बिंदुओं को देखें और अपना स्वयं मूल्यांकन करें, 25 प्रतिशत को मात्र अंकों के रूप में न देखकर अपने कार्यकाल का विश्लेषण कर जो कमियां रह गई है उनके ऊपर स्वयं देखें तथा उन्हें जनता के सामने भी लाएं, विधायक जी के इस विश्लेषण का हमें इंतजार रहेगा।
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