कटनी जिले के विजयराघवगढ़ तहसील अंतर्गत कारीतलाई में भगवान विष्णु के कूर्म अवतार की एक दुर्लभ प्रतिमा स्थित है, जनप्रतिनिधियों एवं प्रशासन के थोड़े से प्रयासों से करीतलाई एक धार्मिक पर्यटन के रूप में विकसित हो सकता है
कटनी ( प्रबल सृष्टि ) कूर्म ( कच्छप या कछुआ ) अवतार, भगवान विष्णु का दूसरा अवतार माना जाता है। कहा जाता है जब देवता एवं राक्षस दल ने मिलकर मंदराचल को मथानी एवं वासुकी सांप को उसमे रस्सी की तरह लपेटकर जब समुद्र मंथन आरंभ किया तब मंदराचल पर्वत रसातल को जाने लगा। उस वक्त भगवान विष्णु ने कछुआ का रूप धारण कर अपनी पीठ का सहारा मंदराचल पर्वत को दिया। जिससे समुद्र मंथन संपन्न हुआ और देवताओं को चौदह प्रकार के रत्न प्राप्त हो सके।
कटनी जिले के विजयराघवगढ़ तहसील अंतर्गत कारीतलाई में भगवान विष्णु के कूर्म अवतार की एक दुर्लभ प्रतिमा स्थित है। केवल यही नहीं यहां भगवान विष्णु के वराह अवतार एवं मत्स्य अवतार की भी दुर्लभ एवं कलात्मक प्रतिमाएं स्थित हैं । किंतु दुखद कि यह अनमोल एवं दुर्लभ सांस्कृतिक संपदा पुरातत्व विभाग, जिला प्रशासन एवं क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों की घोर उपेक्षा से गुमनामी में पड़ी अपने भाग्य को रो रही हैं। जनप्रतिनिधियों एवं प्रशासन के थोड़े से प्रयासों से करीतलाई एक धार्मिक पर्यटन के रूप में विकसित हो सकता है । जिस पर ध्यान दिया जाना अपेक्षित है।
लेखक - श्री राजेन्द्र सिंह ठाकुर
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