कटनी - माधवनगर ( मुरली पृथ्यानी ) पड़ोस में रहने वाली हेमा दोपहर 12 बजे घर आई तो उसके दोनों हाथों में टिफिन थे जिसमें कड़ी - चावल, रोटी - सब्जी, दाल - दही बड़े और कचरी थी जो किचन में जाकर उसने मेरी मम्मी को दिए और बोली की उसकी मम्मी दीपा ने दिये हैं। इतना खाना देखकर मम्मी उससे पूछने लगी इतना क्यों लेकर आई हो तो कहने लगी मम्मी ने दिया है। देकर जाने लगी तो मम्मी ने भी चावल के आटे की बनी रोटी और लौंकी की सब्जी उसे दी और कहा मम्मी को दे देना। उस वक्त मैं भी घर में ही मौजूद था और दोनों की प्यार अपनेपन की यह वार्त्तालाप मेरे कानों में सुनाई दे रही थी जो मेरे भी मुस्कुराने की वजह थी।
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सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज |
आज के इस युग में जहां भाई भाई की पटरी नही खाती, एक ही घर में अलग अलग घर बन जाते हैं ऐसे में हमारा आस पड़ोस प्यार अपनेपन को संजोए हुए है। हमारे मोहल्ले में ज्यादतर निरंकारी परिवार ही हैं जिनमे प्यार और अपनापन देखते ही बनता है। हमारे मोहल्ले में हर शुक्रवार की शाम को महिलाओं का सत्संग भी होता जिसमें निरंकारी व सभी महिलाएं भी शामिल होती हैं जहां सिर्फ प्रीत अपनापन परोपकार ही सिखाया जाता है। काश हर घर परिवार, मोहल्ले में ऐसे ही प्रेम अपनेपन की जड़े मजबूत रहें तो फिर स्वर्ग भी तो यहीं हैं बस अच्छी भावनाओं में एक दूसरे को शामिल करना आ जाए।
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