ऐसे लोगों को वाहन देना सड़क पर यमराज को भेजने जैसा है, कहने को तो यातायात के कई कानून हैं लेकिन पूरी तरह लागू क्यों नही है ? क्या ऐसे अवयस्कों के माता पिता की जवाबदेही नही बनती क्यों नही ऐसे मामलों में उन्हें भी आरोपी बनाया जाता ?
कटनी ( मुरली पृथ्यानी ) कल माधवनगर से शहर जाते हुए शाम सवा सात बजे के करीब जैसे ही मिशन चौक पुलिया क्रॉस की तभी एक अवयस्क सा लड़का पीछे बाएं दिशा से ओव्हर टेक करता हुआ जो यातायात नियमों के अनुसार भी गलत दिशा थी वहां से आगे चल रहे वाहनों के बीच जहां उसे जगह मिलती गई वहां से निकलता हुआ यातायात चौकी के ठीक सामने से गुजरता हुआ एकदम से पेट्रोल पंप की तरफ मुड़ गया। यह देख इतना तो समझ में आ गया कि उसे रोड पर गाड़ी चलानी कैसी है इस बात की कोई समझ थी नही उसपर ऐसा करके वह दूसरों के लिए भी खतरा बना हुआ था। पर बड़ा सवाल यह भी था कि ऐसे अवयस्कों को वाहन देता कौन है ?
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प्रतीकात्मक चित्र |
हाल ही में पुणे से हृदयविकारक हादसा सामने आया है जिसमें अवयस्क ने महंगी कार से शराब के नशे में दो लोगों पर गाड़ी चढ़ा कर मार डाला यह मामला एक उदाहरण भी है कि ऐसे लोगों को वाहन देना रोड पर यमराज को भेजने जैसा है। पुणे का मामला पुलिस, न्याय व्यवस्था के लिए भी कसौटी है कि क्या निर्दोषों को न्याय मिलेगा और देश भर में क्या कुछ सुधार हो पाएगा कि जहां तहां ऐसा हो रहा है फिर भी सुधार क्यों नही हो पाता ? कहने को तो यातायात के कई कानून हैं लेकिन पूरी तरह लागू क्यों नही है ? रसूखदार लोग अपने नालायक बच्चों के गुनाहों पर हर संभव पर्दा डालने का भरसक प्रयास करते हैं और मर सड़कों पर बेचारे बेकसूर लोग जाते हैं। अगर मामला मीडिया की सुर्खियां बन गया तो कुछ दिन खूब इंसाफ की दुहाई दी जाती है लेकिन बड़े लोगों के मामले पता नही कितने साल इंसाफ की भीख ही मांगते रहते हैं। क्या ऐसे अवयस्कों के माता पिता की जवाबदेही नही बनती क्यों नही ऐसे मामलों में उन्हें भी आरोपी बनाया जाता ? यह सड़क पर चलने वाले हर आमों खास की जिंदगी का सवाल है। जहां भी ऐसे अवयस्क मिले उनके माता पिता पर भी कार्यवाही बिना भेद भाव, रसूख के दबाव में आए बिना करनी चाहिए तभी कुछ सुधार हो पाएगा। यह रोज ही हर समय होना चाहिए। अभी तो स्थिति चिंताजनक है।
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