कटनी - लगातार गिरते तापमान और कड़ाके की सर्दी के मद्धेनजर कृषि विभाग द्वारा जिले के किसानों को अपनी फसलों को पाला से बचाने की एडवायजरी जारी की गई है। उप संचालक कृषि ए के राठौर द्वारा किसानों को दी गई सामयिक सलाह में कहा गया है कि पाला पड़ने से फसलों को नुकसान हो सकता है। वैसे तो यह प्राकृतिक आपदा है लेकिन कुछ उपाय कर फसलों का बचाव किया जा सकता है। पाले से पौधों की कोमल टहनियां , पत्ते , फल , फलियां झुलस जाती हैं। कभी कभी पौधे मर जाते हैं , जिसके पैदावार घटती है। पाले का समय , लक्षण एवं पूर्वानुमान उत्तर भारत में मध्य दिसम्बर से मध्य फरवरी तक पाला पड़ने की संभावना होती है। इस दौरान रबी की फसल में फूल आना या फलियां बनना शुरु होती हैं। जिस दिन विशेष ठण्ड हो शाम को हवा का चलना रुक जाये , रात्रि में आकाश साफ हो और आर्द्रता का प्रतिशत कम हो उस रोज पाला पड़ने की सबसे अधिक संभावना होती है। पाले के प्रति संवेदनशील फसलें खरीफ फसलों में आलू , मटर , टमाटर , सरसों , बैंगन , अलसी , धनिया , जीरा , अरहर , शकरकंद फलों में पपीता पाले के प्रति अत्