सतगुरु के इस दरबार में सच का मोल होता है बाकी तो जग में झूठी प्रीत है, एक खुश्बूदार पेड़ दूसरे पेड़ के साथ रहता है तो उसमें भी कुछ खुशबू आ जाती है, संत निरंकारी सत्संग भवन माधवनगर में महात्मा सुभाष कनौजिया जी ने विचार व्यक्त किए
कटनी ( मुरली पृथ्यानी ) जिसनू पूरा सतगुरु मिलया निबड़ गया ए उसदा लेखा, चरण धूल मस्तक ते लाया बदल जाये मत्थे दी लेखा, जिसने अपना प्रभु पछाता उसदा होया बेड़ापार सदा। सतगुरु जन मानस का कल्याण करते हैं, आप अपने आसपास ही नहीं बल्कि देश विदेश में चल करके तन मन धन से जाते हैं और इस विस्तार का विस्तार करते इस राम नाम धन का आप चारो तरफ़ एलान भी करते हैं। आप जैसे संतो को सतगुरु ने चुना, आपका मुख उजला रहे आपके साथ में भी जो रहते हैं उनका भी मुख उजला हो क्योंकि जब एक खुश्बूदार पेड़ दूसरे पेड़ के साथ रहता है तो उसमें भी कुछ खुशबू आ जाती है उसमें भी कुछ फल लगने लगते है, आप तो पहले से कर्मयोगी है सतगुरु ने इतना कर्म कर दिया कि इस सच से नाता जोड़ दिया जो सनातन है। यही एक रहने वाला है, बाकी तो यह मिथ्या है। उक्त विचार संत निरंकारी सत्संग भवन माधवनगर में रविवार के सत्संग में अवतारवाणी के शब्द पर महात्मा सुभाष कनौजिया जी ने उपस्थित साध संगत के समक्ष व्यक्त किए।
सतगुरु के इस दरबार में सच का मोल होता है बाकी तो जग में झूठी प्रीत है, गुरू की ये सच्ची मीत है इन्होंने अपने गुरू को रिझा लिया है और गुरू कब रीझता है? ना तो ये फूल से रीझता है ना अच्छे कपड़ों को पहने से रीझता है ना बड़े-बड़े बोल बोलने से रीझता है क्यों? ये सब जगह देखता है।
हम कुछ भी करते हैं लाइट ना रहे तो हम किसी भी सामान से टकरा जाएंगे लेकिन अगर हमें गुरू पे अकीदा है इस मुर्शद पे अकीदा है इस परमपिता पर अकीदा है तो मुझे यह निरंकार संभालता है। दास फिर से दोहरा रहा है इस मिशन का तो विस्तार होना ही है लेकिन ये सोचो कि आपकी आत्मा का विस्तार कैसे होगा ? जब हम गुरु का वचन मानेंगे तब इस आत्मा का विस्तार होगा और आत्मा का विस्तार अगर ना हुआ बाकी तो आप जानते हैं क्योंकि आप ब्रह्म ज्ञानी संत हैं, ये ब्रह्म ज्ञानी संतों की सभा है यहाँ पर 33 कोटि देवताओं की उपस्थिति है। आप जब सिमरन करते हैं तो सामने में जो भी कोई आधि व्याधि होती है ये 33 कोटि देवी देवता हटा देते हैं। क्योंकि इनका हटाने का काम है सारे संसार में गुरु ही तो ऐसा है जो आपके साथ प्रेम करता है।
एक बात याद आ गई एक बहुत बड़े राजा थे जो कहीं जा रहे थे उन्हें एक बच्चा दिखा इस बच्चे के चेहरे पे जो नूर दिखाई दे रहा है, जो तेजस दिखाई दे रहा है, ये साधारण कोई बच्चा नहीं है उन्होंने उस बच्चे से पूछा, मेरे घर चलोगे ? बच्चे ने कहा, घर तो चलूंगा पर मेरी भी एक बात है, तो राजा ने सोचा, क्या बोलेगा? कुछ खिलौना माँगेगा कुछ कपड़े माँगेगा कोई साइकिल माँगेगा सब दे दूंगा तो बोलो क्या चाहिए? बच्चा बोला बस एक छोटी सी बात कि आप मुझे कभी अकेले नहीं छोड़ेंगे चाहे दिन हो या रात सुबह हो या शाम मुझे अकेला नहीं छोड़ेंगे तो राजा हैरान हो गया, बोला मैं तो राजा हूँ मुझे प्रजा का भी काम करना है राज्य का भी काम करना है और ये जब रात में सोएंगे तब इनको मैं कैसे देखूँगा ? राजा बोला यह मुश्किल काम मेरे से नहीं हो पाएगा। तब बच्चा बोला मेरे साथ तो यह परमात्मा हर समय ही रहता है। समय के पैगम्बर माता सुदीक्षा जी महाराज 24 घंटा मेरे साथ रहती है, मैं सो जाता हूँ, तो वो पहरा देती है, मैं जो भी भी कार्य करता हूँ मेरे साथ रहती है इतना तो ध्यान मेरा परमात्मा रखता है, मेरा सतगुरु रखता है तो मैं अब और कहां जाऊं ? । आपने जीते जी इस संसार में इस रमे हुए राम का दीदार किया। गुरु आप पर मेहरबान है, गुरु आपके साथ हर समय रहता है आपके जो भौतिक सुख हैं। सत्संग कार्यक्रम में अनेक वक्ताओं ने गीत विचार के माध्यम से भी भाव प्रकट किए इस अवसर पर साध संगत की उपस्थिति रही।
Comments
Post a Comment