गृहणी लक्ष्मी है कोई समस्या है उससे बात करो वह उसको हल कर देगी, हमारे हृदय में ईश्वर का अंश है जीव अविनाशी है अर्थात निरंकार है, संत निरंकारी सत्संग भवन माधवनगर में रविवार के सत्संग में महात्मा श्री नोतन दास केवलानी जी ने विचार व्यक्त किए
कटनी ( मुरली पृथ्यानी ) ये कितनी बड़ी ताकत है प्रभु ईश्वर सर्वसमर्थ सर्वकला भरपूर सारे सुखों का दाता है ज्ञान लेने के बाद हमें जो समझ देते हैं हम जो पढ़ते हैं ईश्वर अंश जीव अविनाशी चेतन अमल सहज सुखरासी। हमारे हृदय में ईश्वर का अंश है जीव अविनाशी है अर्थात निरंकार है घट घट का वासी है जिस प्रकार श्री गुरुनानक देव ने कहा मैं मछली तुझमे मेरा दाना बीना, मछली के चारों तरफ पानी होता है उसका खाना पीना रहना बच्चे पैदा करना पानी में होता है इसी प्रकार इंसान के चारों तरफ यह निराकार ब्रह्म है। हमारे अंदर आत्मा है आत्मा शरीर में है तो शरीर क्रिया शील है तो हमें किसको मानना है शास्त्र में पढ़ते हैं एक पिता एकस के हम बालक एको रा भरपूरा। उक्त विचार संत निरंकारी सत्संग भवन माधवनगर में रविवार के सत्संग में अवतार वाणी के शब्द पर महात्मा श्री नोतन दास केवलानी जी उपस्थित साध संगत के समक्ष व्यक्त किए।
उन्होंने कहा ज्ञान लेने के बाद आप इस परमात्मा को मानते हैं यह सारे सुखों का दाता है हर विषय को हल करने वाला है इसलिए सत्संग सिमरन सेवा सत्कार सदविचार से जुड़े। सेवा ही मूल है इससे निराकार ब्रह्म खुश होता है कि हमारे संतों की हमारे बच्चों की सेवा हो रही होती है इसलिए सेवा को मूल कहा गया है अपनी शक्ति के अनुसार सेवा में भाग लिया करें। कोई भी बात हो जिसमें आपका विश्वास हो तो कुछ संतों को घर में बुला के सेवा करलो विश्वास रखो इच्छा अवश्य पूरी होगी। यह सब जगह मौजूद है हर जगह है इसकी प्राप्ति करो यह तो आपका मालिक है आत्मा इसका अंश है इसकी प्राप्ति करो।
गुरु बिन नहीं सुझे हरि साजन सबके निकट खड़ा गुरुग्रंथ साहिब में पढ़कर देखो बानी गुरु गुरु है बानी विच बानी अमृत सारे, कहे नानक संत जन माने प्रथख गुरु निस्तारे। अगर कहीं कोई कमी है तो देखना पड़ेगा कि क्या हम सतगुरु के वचन अनुसार संतों का सत्कार करते हैं, सिमरण करते हैं सेवा करते हैं ? घर में जो रहते हैं घर में बहनों का सत्कार होता है वहां लक्ष्मी का वास होता है, घर में चाहे छोटा हो या बड़ा किसी से गलत व्यवहार नहीं करना क्योंकि सब के अंदर आत्मा है, गृहणी लक्ष्मी है कोई समस्या है उससे बात करो वह उसको हल कर देगी हर प्रकार से इंसान सुखी रह सकता है।
आप लोगों ने ज्ञान ले लिया फिर क्या ज्ञान लेने के बाद अवतारी पुरषों सतगुरु के उपदेश से इंसान चले सभी ने ज्ञान ले लिया है इससे बढ़कर क्या हो सकता है। घर में सुख शांति हो किसी की कमी न हो संतो की बढ़ चढ़कर के उनकी सेवा करो प्रार्थना करो यह संत निराकार से जुड़े हुए होते हैं आपका अवश्य कार्य पूरा होगा। आपके मनों में एक श्रद्धा भावना हो। खलकत सारी भूली बैठी है यह कादर है घट घट इसका वास है इंसानी जूनी का असल मकसद है अपने मूल की पहचान करके इससे जुड़ना। एक गुरसिख की नजर अगर पढ़ गई तो एक्सीडेंट नही होता क्योंकि निरंकार देख रहा होता है कि उसका गुरसिख देख रहा होता है कितनी बड़ी बात है। सिर्फ नाम से दुनिया का कोई काम नहीं होता मरीज को लाजिम है डॉक्टर और दवा दोनों सिर्फ सिफ़्तों की इबादत से कल्याण नहीं होता। सत्संग कार्यक्रम में अनेक वक्ताओं ने गीत और विचार के माध्यम से अपने भाव प्रकट किए इस अवसर पर बड़ी संख्या में साध संगत की उपस्थिति रही।
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