कटनी ( मुरली पृथ्यानी ) कलेक्टर कार्यालय से लौटते हुए शाम करीब 5 बजे सुधार न्यास कॉलोनी के रोड पर एक 5 वर्ष की मासूम बच्ची रस्सी पर नन्हे नन्हे पैरों से चलकर सर्कस दिखा रही थी। रस्सी पर चलते हुए उसके हाथ में डंडा था और सिर पर छोटा सा लोटा और पांव के नीचे एक बर्तन दबाकर वह रस्सी पर चल रही थी। देख कर विश्वास नहीं हो रहा था कि मासूम सी बच्ची कितना बैलेंस बनाकर वह चल रही है। हम आप तो ऐसे कभी नहीं चल सकते, उसके चेहरे पर जो मजबूरी थी मासूमियत थी एकाग्रता थी उसने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया कि आखिर इतनी मासूम बच्ची के सामने जीवन गुजारे का इतना बड़ा संकट है कि वह शायद पढ़ाई लिखाई को छोड़कर अपने परिवार के साथ सड़क पर अपना जीवन यापन कर रही है।
मैं वहीं कुछ देर ठहरा रहा उसकी मां से उसका नाम पूछा तो उसका नाम सकीना बताया और खुद का नाम सुनीता बताया। उसने बताया कि वह बिलासपुर छत्तीसगढ़ से आए हुए हैं महिला की गोदी में एक नन्हा सा मासूम बच्चा भी था और एक किशोर अवस्था का लड़का भी साथ था। आते जाते कुछ ही लोग यह देख उनकी थाली में चिल्लर पैसे डाल रहे थे। जिंदगी में ऐसा संघर्ष इतनी छोटी उम्र में करना पड़ता है पता नहीं वह कब तक यहां रहेंगे और आने वाला जीवन उनका कैसा होगा यह तो पता नहीं पर बच्ची के चेहरे में जो भाव थे उसकी आंखों में जो दिखाई दे रहा था वह बड़ा मन विचलित कर रहा था। अब उसके लिए हम क्या कर सकते हैं लेकिन अगर जो सरकार है वह ऐसे लोगों के लिए अगर कुछ योजना में उनकी पात्रता बनाएं और बच्ची को शिक्षा मिले तो शायद उसका जीवन और बेहतर हो सकता है।
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