भक्त प्रहलाद को इस परमात्मा पर भरोसा था तो इस निरंकार परमात्मा ने उसकी रक्षा की .. संत निरंकारी सत्संग भवन माधवनगर में महात्मा नोतन दास केवलानी जी ने विचार व्यक्त किए, कटनी ब्रांच के मुखी महात्मा श्री राजकुमार हेमनानी जी को Acting संयोजक का पदभार और शहर ब्रांच की जिम्मेदारी श्री सुनील मेघानी जी को प्रदान करने दिल्ली से आए पत्र को पढ़कर शिक्षक शंकर भाषानी जी ने जानकारी साध संगत को प्रदत की
कटनी ( मुरली पृथ्यानी ) ज्ञान लेने से नही ज्ञान को अमल में लाने से बात बनती है। मानस में पांच संस्कारो का वर्णन आता है, जिसमें सेवा सिमरन सत्संग सत्कार और संस्कार है इनमें सबसे उत्तम सेवा है। ज्ञान लेने के बाद जो भक्ति से जुड़े रहते हैं इस निरंकार को अपने मन में बसाए रखते हैं वहां यह भगवान भी साथ होता है। भक्त प्रहलाद को इस परमात्मा पर भरोसा था तो इस निरंकार परमात्मा ने उसकी रक्षा की। हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को कई प्रकार के कष्ट दिए थे लेकिन वह प्रभु भक्ति से विचलित नही हुआ, सृष्टि के रचियता प्रमु परमात्मा ही है। उक्त विचार संत निरंकारी सत्संग भवन माधवनगर में रविवार के सत्संग में अवतार वाणी के शब्द पर महात्मा नोतन दास केवलानी जी ने उपस्थित साध संगत के समक्ष व्यक्त किए।
उन्होंने कहा इससे हमें यह शिक्षा मिलती है कि विश्वास में बड़ी शक्ति है जो इस निरंकार प्रभु के ऊपर विश्वास रखते हैं उन्हें यह संभाल लेता है। इसके कई नाम हैं लेकिन पिता जो नाम अपनी संतान को देता है तो उसे उसी नाम से ही पुकारा जाता है दूसरे नाम से नही, सतगुरु निराकार का साकार रूप होता है इस पर पूर्ण विश्वास रखें। मछली के चारों तरफ पानी रहता है उसका खाना पीना रहना बच्चे सब इसी में हैं। निरंकार तब खुश होता है जब देखता है इसकी संतान का सत्कार हो रहा है फिर इंसान सबको अपने जैसा समझता है, किसी से वैर नहीं रखता उसमें इंसानियत आती है और फिर सबके भले की बात करता है। सतगुरु बाबा हरदेव सिंह जी महाराज ने कहा है हर एक के अंदर आत्मा है ये आत्मा परमात्मा का अंश है, सब के साथ सद व्यवहार करो इसके पीछे आपको सारे पदार्थों की प्राप्ति होती है लेकिन इंसान इसे भूल भी जाता है।
उन्होंने कहा कभी क्रोध न करो इसका सिमरन करो, सिमरन में वो शक्ति है। संत यही करते हैं जो संतों का सत्कार करता है उनके कार्य हल हो जाते हैं। हम खुशियां मांगते हैं इसलिए हमें भी सेवा सिमरन सत्संग सत्कार करना है। भक्ति की विशेषता है कि पहले साधु की शरण में आना पड़ता है तब इसकी पहचान होती है जैसे बीए की पढ़ाई के लिए फार्म भरते हैं तो पहले मेट्रिक पास कर ली है यह पूछा जाता है। प्रभु की पहचान करके भक्ति को अपनाएं, जिन्होंने ज्ञान लिया हुआ है ज्ञान लेने के बाद इससे जुड़े रहते हैं। गुरु गुरुनानक देव जी ने रैन महाराज से ज्ञान लिया और कहा कि एको सुमरिए नानका जो जल थल रहा समाए दूजा काहे सुमरिए जो जम्मे ते मर जाए। ज्ञान और कर्म का संगम हो जाए तो बात बन जाए।
सत्संग से पूर्व कटनी ब्रांच के मुखी महात्मा श्री राजकुमार हेमनानी जी को Acting संयोजक का पदभार प्रदान करने का दिल्ली से आया लैटर शिक्षक शंकर भाषानी जी ने पढ़ा साथ ही कटनी शहर ब्रांच की जिम्मेदारी श्री सुनील मेघानी जी को प्रदान करने की दिल्ली से आई जानकारी भी उन्होंने साध संगत को प्रदान की। सत्संग समाप्ति पश्चात महात्माओं ने उपस्थित साध संगत का आशीर्वाद लिया।
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