बाएं हाथ से हर आने जाने वाले के लिए कांच का दरवाजा खोलता हुआ एक दरबान...मैंने उसे कहा स्माइल प्लीज तो वह मुस्कुरा उठा
कटनी ( मुरली पृथ्यानी ) कोई बच्चा निकले तो हल्की सी चेहरे पर मुस्कान लाता है। पैरों में जूते के ऊपर टखने तक सफेद कपड़ा ढका हुआ है जिससे कोई जूते नही देख पाए चूंकि मैं भी गेट के सामने ही कुछ देर से बैठा हूँ और आसपास लोग होने के बावजूद दरबान को ही गौर से देखें जा रहा हूँ, पता नही उसकी ड्यूटी कितने समय की होगी यह उसका रोज का ही काम होगा। सिर पर टोपी और चेहरे पर खामोशी लिए बिना किसी से कोई अपेक्षा रखे अपना काम भर कर रहा है।
इस होटल में कई शादियां होती हैं पार्टियां होती है रोजाना ही सैंकड़ो लोग आते जाते होंगे जिस दिन शादी होगी उस दिन दरवाजा ज्यादा बार ही खोलना बंद करना होता होगा सिलसिला रुका नही है निरंतर चल ही रहा है। ईश्वर भी किसी को मालिक बनाता है किसी को सिर्फ दरबान बना देता है दुनिया में बढ़ा फर्क है बस एक जैसी है तो पेट की भूख और अपनों की जिम्मेदारियां निभाने के प्रयास करना, मेहनत और लगन की कद्र तो होनी ही चाहिए। वहां से निकलने समय मैंने उसे कहा स्माइल प्लीज तो वह मुस्कुरा उठा।
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