कटनी ( प्रबल सृष्टि ) वह अंग्रेजी शासनकाल के दिन थे । उस समय आज की तरह संचार साधन ( सड़क एवं आवागमन के साधन ) नहीं होते थे । ज्यादातर सामान्य लोग सूने घने जंगलों के बीच पैदल ही एक स्थान से दूसरे स्थान को जाते थे। जबकि संपन्न लोग घोड़ा, खच्चर, पड़े, पालकी, बैल गाड़ी या घोड़ा गाड़ी से यहां से वहां आना जाना करते थे । उन दिनों संगठित अपराधियों का एक समुदाय यात्रियों के साथ घुल मिल कर साथ चलता और मौका पाते ही एक बड़े रूमाल से यात्रियों का गला घोंट मौत के घाट ही नहीं उतार देता बल्कि अपने अन्य साथियों द्वारा पूर्व से खोद कर रखे गए गड्ढों में गड़ाकर मृतकों के शव भी छिपा देते और उनका माल मत्ता लेकर आगे बढ़ जाते थे । ठग कहलाने वाले उन अपराधियों की गतिविधियां इतनी शातिराना होती थीं कि यात्रियों की हत्या के बाद न कोई इन पर शक कर पाता था, न किसी का शव ही मिलता था।
उन दिनों कर्नल हेनरी विलियम स्लीमन नामक एक अंग्रेज प्रशासनिक अधिकारी के रूप में नियुक्त होकर आए । अपने कार्य के दौरान उन्हें इन अपराधों की भनक लगी । एक अंग्रेज होते हुए कर्नल स्लीमन को भारतीय संस्कृति और यहां के समाज का लोक व्यवहार आकर्षित करता था । उन्होंने अपनी रुचि से ठगों की गतिविधियों के बारे में जानकारियां जुटाना आरंभ किया और उनका अध्ययन किया जिसमे चौंकाने वाली बातें सामने आईं । वे ठगी प्रथा के अपराध का उन्मूलन करने में लग गए । उनके प्रयासों से ठगी उन्मूलन का एक विभाग खोला गया , जिसके वे प्रमुख भी बनाए गए । अंततः उनके सतत प्रयासों से 1830 में ठगी प्रथा का देश में उन्मूलन हुआ । देश भर में हजारों ठग पकड़े गए , जिनमे सरकारी गवाह बनने वालों को सामान्य सजा देकर उनके पुनर्वास की योजना चलाई गईं और दुर्दांत अपराधियों पर मुकदमा चलाकर एक हजार से अधिक को मृत्युदंड दिया गया।
उक्त ठगों को मृत्युदंड देने के लिए स्लीमनाबाद कूम्ही में कर्नल स्लीमन द्वारा दो फांसी घर निर्मित कराए गए थे । रेल में बैठकर कटनी से जबलपुर जाते हुए स्लीमनाबाद रेलवे स्टेशन के पश्चिम दिशा में स्थित यह फांसीघर लोग आज भी देखते होंगे । कर्नल स्लीमन द्वारा उस समय ठगी उन्मूलन के लिए अपना जो सूचना तंत्र बनाया गया था , वही आज भी पुलिस के सी आई डी विभाग के रूप में कार्य कर रहा है ।
अंग्रेज शासन में उन्हें बेशक अत्याचारी एवं अन्याई शासक के रूप में जाना जाता है , किंतु कर्नल हेनरी विलियम स्लीमन की छवि इनसे सर्वथा अलग भारतीय समाज के एक हितैषी के रूप में याद की जाती है । जिन्होंने ठगी प्रथा जैसे दुर्दांत अपराधियों का उन्मूलन कर हजारों लाखों भारतीयों के प्राणों की रक्षा की ।
फांसी घर के नीचे दृष्टव्य हैं कर्नल स्लीमन की रपटों का अनुवाद और अध्ययन करने तथा उन्हें पुस्तक रूप में भारतीय समाज के सामने लाने वाले जबलपुर के वरिष्ठ इतिहासकार / साहित्यकार श्री राजेंद्र चंद्रकांत राय तथा उनके अनन्य मित्र साहित्यकार एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता श्री रूपेंद्र पटेल जी ।
इतिहासकार - श्री राजेन्द्र सिंह ठाकुर कटनी
भाईसाब ये कुम्ही नहीं बल्कि इमलिया गांव के सन्यासी आश्रम के पीछे बना हुआ है जोकि कटनी जबलपुर रेल लाईन से बिल्कुल करीब से दिखाई देता है।
ReplyDelete