कटनी ( मुरली पृथ्यानी ) थिएटर में पठान फिल्म के बाद कोई फिल्म नहीं देख पाया था वैसे फिल्मों का बहुत शौक है टीवी पर अक्सर फिल्में देखता हूं। हाल के वर्षों में साउथ सिनेमा ने मनोरंजन की दृष्टि से ध्यान खींचा है जो अच्छा भी लगता है। दो दिन पहले बच्चों ने मेरी टिकट भी उनके साथ जवान फिल्म देखने के लिए कराई थी तो मंगलवार शाम मित्तल मॉल में फ़िल्म देखी।
वैसे इस फिल्म के बारे में पहले से ही बहुत चर्चाएं थी इसलिए देखने की उत्सुकता तो थी। फिल्म तो पूरी देख कर वापस लौट आया हूं तो फिल्म के बारे में कुछ लिखने का मन हुआ। फिल्म काफी अच्छी है कुछ सामाजिक संदेश भी देती है। एक फिल्म के माध्यम से संदेश दिए जा सकते हैं, प्रश्न खड़े किए जा सकते हैं, लोगों को थोड़ा जगाया तो जा ही सकता है। फिल्म की समीक्षा उसके किरदारों, संगीत या अन्य पहलुओं पर जाकर करने की कोई विशेष योग्यता तो नहीं है लेकिन फिल्म अच्छी है किरदार कसे हुए हैं। शाहरुख खान के साथ साउथ के विजय सेतुपति ने भी अच्छी भूमिका निभाई है, नयनतारा, दीपिका ने भी अच्छा काम किया है, फिल्म मनोरंजन के साथ संदेश तो देती है। बीते वर्षों में बॉलीवुड काफी नुकसान में रहा है सिर्फ साउथ की फिल्में चल रही थी ऐसा लग रहा था बॉलीवुड पीछे हो जाएगा लेकिन पठान, ग़दर 2 के बाद जवान को मिली सफलता ने लोगों को थिएटर तक खींचा है और मनोरंजन भी कराया है। कभी-कभी परिवार बच्चों के साथ मूवी देखने थिएटर में जरूर जाना चाहिए।
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