भोपाल। ( प्रबल सृष्टि ) मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी द्वारा 25 जुलाई 2023 को अशोक मनवाणी को हिंदी नाट्य कृति "वतन आजाद देखूं" के लिए वर्ष 2019 का हरि कृष्ण प्रेमी नाट्य पुरस्कार प्रदान किया गया।यह कृति एक स्वतंत्रता सेनानी के योगदान के साथ ही एक समुदाय के स्वाधीनता आंदोलन,विस्थापन और परिश्रम से पुनः स्थापित होने की संपूर्ण गाथा प्रस्तुत करती है। आजादी के अमृतकाल में ऐसे प्रकाशन युवा पीढ़ी के लिए प्रेरक और मार्गदर्शक हो सकते हैं। मध्यप्रदेश में पहली बार किसी हिंदी लेखक को साहित्य अकादमी ने हिंदी भाषा में लेखन के लिए पुरस्कृत किया है। राष्ट्रभाषा प्रचार समिति और अन्य संस्थाएं सिंधी लेखकों को पुरस्कृत करती हैं लेकिन शासन के स्तर पर किसी सिंधी लेखक का चयन मध्य प्रदेश के इतिहास में पहली बार हुआ है।
लेखक परिचय
अशोक मनवाणी का जन्म 22 अक्टूबर 1964 को सागर मध्यप्रदेश में हुआ। आपने मातृभाषा सिंधी और राष्ट्रभाषा हिंदी दोनों के लिए समर्पित होकर कार्य किया है। कुल 15 पुस्तकें प्रकाशित हैं जिनमें 8 सिंधी ,3 हिंदी और 4 अनुवाद शामिल हैं। आपने 15 वर्ष की उम्र में बाल पत्रिका पराग के संवाददाता के रूप में कार्य किया।
इसके पश्चात प्रांतीय और राष्ट्रीय स्तर की पत्र-पत्रिकाओं में लेखन प्रारंभ किया जो अनवरत जारी है। प्रमुख रूप से दिनमान, रविवार , दैनिक भास्कर,नवभारत,नवभारत टाइम्स, नई दिल्ली,जनसत्ता,नई दिल्ली, नईदुनिया इंदौर के लिए स्वतंत्र रूप से पत्रकारिता और लेखन कार्य किया। यही नहीं दैनिक भास्कर भोपाल, देशबंधु रायपुर ,नवीन दुनिया जबलपुर दैनिक जागरण आदि के प्रतिनिधि रहे और निरंतर लेखन किया। अशोक ने वर्ष 1986 में बैंगलोर से प्रकाशित हिंदी दैनिक आदर्श पत्र में बतौर सहायक संपादक सेवाएं दीं। अशोक ने 20 वर्ष की आयु में दक्षिण भारत जाकर हिंदी के प्रचार का जिम्मा संभाला। यहां से समाचार पत्र का प्रकाशन निरंतर नहीं चल सका और संपादक वेद प्रताप वैदिक जी ने इसे बंद करने का निर्णय लिया। तब सागर गृहनगर वापस आकर दैनिक आचरण ग्वालियर प्रारंभ होने पर अशोक इस अखबार के नगर प्रतिनिधि बने। अशोक का चयन 1987 में 22 वर्ष की आयु में जनसंपर्क अधिकारी पद के लिए हो गया तब से 35 वर्ष से मध्यप्रदेश शासन में सेवाएं दे रहे हैं। आपको अनेक संस्थाओं से पुरस्कार प्राप्त हुए हैं जैसे करवट कला परिषद, दुष्यंत कुमार संग्रहालय,पंडित माधवराव सप्रे समाचार पत्र संग्रहालय और शोध संस्थान, राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, राष्ट्रीय सिंधी भाषा विकास परिषद, नई दिल्ली, सिंधी साहित्य अकादमी मध्यप्रदेश, अंबिका प्रसाद दिव्य अलंकरण साहित्य सदन ,सागर,श्यामलम संस्था,सागर और मध्यप्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन का सप्तपर्णी सम्मान शामिल है।आपने सैकड़ों सिंधी और हिंदी कहानियों एवं कविताओं का परस्पर अनुवाद किया है। दो उपन्यासों का अनुवाद इन दिनों कर रहे हैं।
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