शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले वतन पे मरने वालों का यही अन्तिम निशां होगा, संदर्भ : सैयद बाबा उर्स मिशन चौक कटनी, सन 1857 के स्वतंत्रता संग्राम की गाथा
कटनी ( प्रबल सृष्टि ) विजयराघवगढ युवराज सरयू प्रसाद सिंह के नेतृत्व में आजादी के लिए संघर्ष कर रहे क्रांतिकारियों को जबलपुर से जनरल व्हिटलार्क के नेतृत्व में अंग्रेजी फौज सिहोरा पहुँचते ही खबर लग गई थी और उन्होने भी अपना मौर्चा मिशन चौक तथा कटनी नदी की उथली धाराओं के के पास झाड़ झंखाड की आड़ में बना लिए थे । उस समय नदी मे पुल नहीं था । खबर पाकर सरयू प्रसाद सिंह भी शाहनगर पवई के कुछ सैनिक लेकर सुबह मुडवारा पहुंच गए । क्रांतिकारी आबादी के बीच मुडवारा में अंग्रेज सेना से मुठभेड टाल कर कैलवारा के जंगल में निपटना चाहते थे । अतः युवराज सरयू प्रसाद सिंह नें ठाकुर राम बख्श सिंह और लोधी सरदारों को सरदार बहादुर खाँ के नेतृत्व में मुडवारा के अग्रणी मोर्चे तथा सुरक्षा के लिए तैनात किया था।
18 फरवरी 1858 को सवेरे मुर्गे बांग देने लगे कि अंग्रेज फौज नदी पार कर नित्य कर्म में जुट गई । क्रांतिकारी दल चुपचाप इनके बस्ती से आगे बढने की राह देखता रहा । किंतु थोडी देर बाद जैसे ही स्थानीय स्त्री पुरुष नदी किनारे निस्तार हेतु आने लगे अंग्रेज सैनिकों नें युद्ध की मान मर्यादा लांघते हुए राक्षसी ढंग से स्त्री , पुरुष , बूढे , बच्चों पर हमला शुरु कर दिया । फिर तो सभी का खून खौल उठा । क्रांतिकारियों के साथ मुडवारा का हर नागरिक अंग्रेजी फौज पर टूट पड़ा । कटनी नदी से लेकर मिशन चौक तक का क्षेत्र लाशों और खून से पट गया । मैदान में लाशें ही लाशें बिखरी पड़ी तथा नदी की धार तक खून से लाल हो रही थी । उन दिनों कटनी नदी से मिशन चौक के बीच आबादी नहीं थी । सरदार बहादुर खाँ अंग्रेज सेना को खदेड़ते हुए बस्ती से दूर मिशन चौक तक ले आए । वर्तमान नगर निगम कार्यालय के बगल में अंग्रेजों का ठिकाना था । सरदार बहादुर खां वहाँ पहुँचकर गोली बारूद के भण्डार में आग लगाकर नष्ट करना चाहते थे । घोड़े पर सवार तलवार चलाते हुए वे अंग्रेजी फौज के बीच घुस गए व उन्हे काटते हुए आगे बढ़ रहे थे तभी तोप का एक गोला उन पर गिरा , वे बुरी तरह घायल हो गए । उनके साथी तुरत उन्हे उठाकर एक किनारे पेड़ों की आड़ में ले गए । किंतु बुरी तरह घायल सरदार बहादुर खाँ मुड़वारे की जय - विजयराघवगढ की जय बोलते हुए शहीद हो गए । आपके साथियों ने अंग्रेजों से शव की सुरक्षा की दृष्टी से जल्द वहीं गड्ढा खोद उन्हे दफना दिया । इसके बाद बावली टोला के पास राम बख्श सिंह भी शहीद हुए । अंग्रेजी फौज ने सारे दिन लूट खसोट एवं महिलाओं की बेइज्जती की , हत्यायें कीं और शाम होते आगे बढ़ गई । उस दिन किसी घर में चिराग नहीं जला , सारा मुडवारा शमशान जैसे सुनसान पड़ा रहा । इस दिन मुडवारा में 1500 लोग मारे गए थे । बारह लाशें बिना सिर की थीं, जनरल व्हिटलाक एवं कमिश्नर अर्सकिन के आदेश से इनके सिर काट कर मिशन चौक स्थित इमली के पेड़ पर लटका दिया गया था ।
कटनी नदी से आजाद चौक , मिशन चौक तथा थाना तिराहा क्षेत्र की जमीं स्वतंत्रता संग्राम सैनिकों के रक्त से सिंचित है । इस पावन भूमि में स्थित अमर शहीद सरदार बहादुर खाँ साहब की मजार पर प्रति वर्ष की तरह इस वर्ष भी उर्स भरा है । हम नगरवासी उन्हे अपनी अकीदत के फूल चढाते हैं ।
शहीद स्थल की देखरेख तथा प्रतिवर्ष यहां उर्स की व्यवस्था देखने वाले मो शकील एवं जावेद भाइजान सरहाना के पात्र हैं ।
लेखक - श्री राजेन्द्र सिंह ठाकुर कटनी
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