कटनी ( प्रबल सृष्टि) नवरात्रि में कलश के सामने एक मिट्टी के पात्र में मिट्टी में जौ या गेहूं को बोया जाता है और इसका पूजन भी किया जाता है। बाद में नौ दिनों में जब जवारे उग आते हैं तो उसके बाद उनका नदी में विसर्जन किया जाता है। जवारे को जयंती और अन्नपूर्णा देवी माना जाता है। माता के साथ जयंती और अन्नपूर्णा देवी की पूजा भी जरूरी होती है।मान्यता है कि सृष्टि के प्रारंभ में सबसे पहली फसल जौ ही थी। इसे पूर्ण फसल भी कहा जाता है। जौ या गेहूं अंन्न है और हिन्दू शास्त्रों में अन्न को ब्रह्म माना गया है। इसीलिए भी नवरात्रि में इसकी पूजा होती है।
जब भी देवी या देवताओं का हवन किया जाता है तो उसमें जौ का बहुत महत्व होता है। जौ बोने से वर्षा, फसल और व्यक्ति के भविष्य का अनुमान भी लगाया जाता है।
रामनवमी की रात्रि में माधवनगर में जवारे को विसर्जन के लिए ले जाते प्रतिवर्ष की तरह जुलूस निकाला गया। जिसमे बड़ी संख्या में भक्तजन साथ में चल रहे थे।
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