मुरली पृथ्यानी - राष्ट्रीय कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए शुरू से एक नाम चर्चित रहा अशोक गहलोत लेकिन हालिया कुछ दिनों में राजस्थान में घटे घटनाक्रम के बाद यह तय माना जा रहा था कि अशोक गहलोत राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं बन पाएंगे क्योंकि अगर वह अध्यक्ष बनते तो आगे चलकर गांधी परिवार के लिए ऐसी कुछ परेशानी खड़ी कर सकते थे जैसा राजस्थान में हुआ और आलाकमान को यह नागवार गुजरा। होता भी क्यों नहीं इधर राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा पर निकले हुए हैं उनका उद्देश्य पूरे भारत को जोड़ने का वह बता रहे हैं उसी बीच राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की तारीखें घोषित की गई थी। कांग्रेस को राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव भारत जोड़ो यात्रा के बाद करना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं हुआ क्योंकि कांग्रेस अपने आप को नैतिक रूप से अन्य दलों से आगे दिखाना चाहती है कि उसमें अभी भी एक जीवित लोकतंत्र स्थापित है भले ही उसके नेता अलग-अलग बात कर लेते हो। कांग्रेस यही कहती है कि उसके अंदर ही वह लोकतंत्र है कि नेता बोलने के लिए स्वतंत्र हैं बाकी अन्य दलों में ऐसा नहीं हो पाता। अब चुकी गहलोत ने आज स्वयं इस बात को स्पष्ट कर दिया कि वह अध्यक्ष का चुनाव नहीं लड़ रहे हैं और सोनिया गांधी को पिछले घटनाक्रम के बारे में माफी भी मांगी है। अब सिर्फ एक ही नाम मध्य प्रदेश से दिग्विजय सिंह का उभर कर आ रहा है कि वह राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पा सकते हैं और ऐसा लग भी रहा है क्योंकि दिग्विजय सिंह बहुत पुराने नेता है और गांधी परिवार के साथ उनकी वफादारी जगजाहिर है। पिछले विधानसभा चुनाव में मध्यप्रदेश में नर्मदा यात्रा उन्होंने निकाली जिसका परिणाम 2018 में कांग्रेस सत्ता के रूप में आई। अब एक ही नाम तय माना जा रहा है कि दिग्विजय सिंह जो राष्ट्रीय अध्यक्ष कांग्रेस के बनेंगे। दिग्विजय सिंह इस उम्र में भी बहुत ऊर्जावान है और वह बहुत तजुर्बे कार है इसलिए ऐसा तय माना जा सकता है कि अब दिग्विजय सिंह ही कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने जा रहे हैं।
मुरली पृथ्यानी - राष्ट्रीय कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए शुरू से एक नाम चर्चित रहा अशोक गहलोत लेकिन हालिया कुछ दिनों में राजस्थान में घटे घटनाक्रम के बाद यह तय माना जा रहा था कि अशोक गहलोत राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं बन पाएंगे क्योंकि अगर वह अध्यक्ष बनते तो आगे चलकर गांधी परिवार के लिए ऐसी कुछ परेशानी खड़ी कर सकते थे जैसा राजस्थान में हुआ और आलाकमान को यह नागवार गुजरा। होता भी क्यों नहीं इधर राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा पर निकले हुए हैं उनका उद्देश्य पूरे भारत को जोड़ने का वह बता रहे हैं उसी बीच राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की तारीखें घोषित की गई थी। कांग्रेस को राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव भारत जोड़ो यात्रा के बाद करना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं हुआ क्योंकि कांग्रेस अपने आप को नैतिक रूप से अन्य दलों से आगे दिखाना चाहती है कि उसमें अभी भी एक जीवित लोकतंत्र स्थापित है भले ही उसके नेता अलग-अलग बात कर लेते हो। कांग्रेस यही कहती है कि उसके अंदर ही वह लोकतंत्र है कि नेता बोलने के लिए स्वतंत्र हैं बाकी अन्य दलों में ऐसा नहीं हो पाता। अब चुकी गहलोत ने आज स्वयं इस बात को स्पष्ट कर दिया कि वह अध्यक्ष का चुनाव नहीं लड़ रहे हैं और सोनिया गांधी को पिछले घटनाक्रम के बारे में माफी भी मांगी है। अब सिर्फ एक ही नाम मध्य प्रदेश से दिग्विजय सिंह का उभर कर आ रहा है कि वह राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पा सकते हैं और ऐसा लग भी रहा है क्योंकि दिग्विजय सिंह बहुत पुराने नेता है और गांधी परिवार के साथ उनकी वफादारी जगजाहिर है। पिछले विधानसभा चुनाव में मध्यप्रदेश में नर्मदा यात्रा उन्होंने निकाली जिसका परिणाम 2018 में कांग्रेस सत्ता के रूप में आई। अब एक ही नाम तय माना जा रहा है कि दिग्विजय सिंह जो राष्ट्रीय अध्यक्ष कांग्रेस के बनेंगे। दिग्विजय सिंह इस उम्र में भी बहुत ऊर्जावान है और वह बहुत तजुर्बे कार है इसलिए ऐसा तय माना जा सकता है कि अब दिग्विजय सिंह ही कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने जा रहे हैं।
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