( मुरली पृथ्यानी ) मेरा पानी उतरता देख किनारे घर मत बना लेना, मैं समंदर हूँ लौट के आऊंगा। यह बात महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के तब कहीं थी जब शिवसेना ने कांग्रेस एनसीपी से मिलकर सरकार बनाई थी। आज उनकी बात सही साबित हो गई और ढाई साल बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने बहुमत परीक्षण से पहले ही अपना इस्तीफा दे दिया। कयास तो शुरू से ही लगने लगे कि यह विपरीत विचारधारा वाला गठबंधन कब तक चलेगा। यहां शिवसेना के अपने ही घर में फूट पढ़ गई और नेतृत्व को हवा भी न लगी। सीधी साफ बात यही समझ आती है कि महाराष्ट्र में चुनाव भाजपा और शिवसेना ने मिलकर लड़ा था लेकिन परिणाम के बाद राहें अलग हो गई और शिवसेना अपने सहयोगी दल से कट गई। कुर्सी की लड़ाई ने विरोधी दलों से मिलकर सरकार बनवा ली थी हश्र आज सबके सामने है। 106 विधायकों वाली भाजपा को शिवसेना के बागी 39 विधायकों का साथ मिल गया है। अब शपथ ग्रहण समारोह होना है जिसमे एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। अब एनसीपी कांग्रेस और बाकी बची शिवसेना विपक्ष में बैठेगी। इस प्रकरण से यह समझ आता है कि विपरीत विचारधारा वाले जब सत्ता बनाते हैं तो वह ज्यादा नही चल पाती क्योंकि अगर घर के लोगों को ही साथ में मिलाए नही रखा तो नतीजा वही होता है जो फिलहाल शिवसेना का नजर आ रहा है। खैर अब महाराष्ट्र में सत्ता बदलने जा रही है आगे आगे देखिए होता है क्या।
( मुरली पृथ्यानी ) मेरा पानी उतरता देख किनारे घर मत बना लेना, मैं समंदर हूँ लौट के आऊंगा। यह बात महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के तब कहीं थी जब शिवसेना ने कांग्रेस एनसीपी से मिलकर सरकार बनाई थी। आज उनकी बात सही साबित हो गई और ढाई साल बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने बहुमत परीक्षण से पहले ही अपना इस्तीफा दे दिया। कयास तो शुरू से ही लगने लगे कि यह विपरीत विचारधारा वाला गठबंधन कब तक चलेगा। यहां शिवसेना के अपने ही घर में फूट पढ़ गई और नेतृत्व को हवा भी न लगी। सीधी साफ बात यही समझ आती है कि महाराष्ट्र में चुनाव भाजपा और शिवसेना ने मिलकर लड़ा था लेकिन परिणाम के बाद राहें अलग हो गई और शिवसेना अपने सहयोगी दल से कट गई। कुर्सी की लड़ाई ने विरोधी दलों से मिलकर सरकार बनवा ली थी हश्र आज सबके सामने है। 106 विधायकों वाली भाजपा को शिवसेना के बागी 39 विधायकों का साथ मिल गया है। अब शपथ ग्रहण समारोह होना है जिसमे एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। अब एनसीपी कांग्रेस और बाकी बची शिवसेना विपक्ष में बैठेगी। इस प्रकरण से यह समझ आता है कि विपरीत विचारधारा वाले जब सत्ता बनाते हैं तो वह ज्यादा नही चल पाती क्योंकि अगर घर के लोगों को ही साथ में मिलाए नही रखा तो नतीजा वही होता है जो फिलहाल शिवसेना का नजर आ रहा है। खैर अब महाराष्ट्र में सत्ता बदलने जा रही है आगे आगे देखिए होता है क्या।
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