बहुत आत्मीयता से मिले जब मैक मोहन, इस बात से चौंके और प्रसन्न भी हुए कि कोई सिंधी भाषी पत्रकार उनसे मिलने और इंटरव्यू करने घर तक आया है
कटनी ( प्रबल सृष्टि) मैक मोहन ने जीवन के आखिरी क्षण तक कार्य किया। वे अनेक टीवी धारावाहिकों में अभिनय करने लगे थे। उनकी बेटी मंजरी भी फिल्म निर्माण से जुड़ गई हैं। मैक मोहन की पत्नी श्रीमती मिनी मैक मोहन, मलयाली भाषी है। एक बार मैक मोहन के अस्वस्थ होने पर हॉस्पिटल में मिनी की मैक मोहन जी से मुलाकात हुई थी। इसके पश्चात दोनों जीवन साथी बन गए । प्रख्यात अभिनेत्री रवीना टंडन मैक मोहन की भांजी हैं। मैक मोहन की बहन वीना और फिल्म मेकर रवि टंडन की बेटी रवीना अपने मामा मैकमोहन से भावनात्मक रूप से काफी गहरे जुड़ी रहीं। इनकी प्रख्यात एक्टर और पूर्व केंद्रीय मंत्री शत्रुघ्न सिन्हा जी की धर्मपत्नी श्रीमती पूनम चंदीरामानी सिन्हा से भी रिश्तेदारी है।
डॉन और अन्य कई फिल्मों में मैक साहब अमिताभ जी के साथ आए। उन्होंने हमें बातचीत में यह भी बताया था कि अक्सर फिल्म के सेट पर अमिताभ जी उन्हें पुकारते थे मिस्टर मैक द मोहन...बहुत स्नेह देते थे बिग बी...
मैक मोहन का बेटा विक्रांत मुंबई में मूवी टावर में परिवार के साथ रहता है। लखनऊ से क्रिकेटर बनने की चाह में मुंबई पहुंचे मैक साहब ने बातचीत में बताया कि वह न नायक बनने लायक थे,न खलनायक बनने योग्य लेकिन यह सौभाग्य था कि उन्हें बतौर हास्य कलाकार एक फिल्म में डांस करने का अवसर मिला। इसके बाद वे फिल्मों में प्रमुख खलनायक के राइट हैंड या लेफ्ट हैंड बनते थे ।
शोले फिल्म की कामयाबी के बाद उनकी पहचान विश्वव्यापी हो गई। जीवन का आखिरी साल कैंसर की तकलीफ में बिताया। उनके द्वारा तीन सौ के आसपास फिल्मों में अभिनय का योगदान दिया गया है।उनका असल नाम मोहन माखीजानी था।
इस लेखक को बातचीत में सिंधी भाषा में बातचीत कर सिंधी भाषा के प्रति प्रेम का परिचय दिया था।
राजेश मनवानी के साथ अपने घर बहुत स्वागत किया था। बड़ी आत्मीयता से मिले दो घंटे। उनसे साल 2007 में लिया गया यह इंटरव्यू यूट्यूब पर भी मौजूद है। इसे विभिन्न चैनल्स पर भी पहले प्रसारित किया गया था। कराची में 24 अप्रैल 1940 को जन्मे मैक साहब विभाजन के पहले ही भारत आ गए थे।
उनके पिता सेना में थे।
हम जब मैक मोहन से मुंबई में मिले तो वे इस बात से चौंके भी और प्रसन्न भी हुए कि कोई सिंधी भाषी पत्रकार उनसे मिलने और इंटरव्यू करने आया उनके घर तक।
खुशी में उनका बेटा विक्रांत एक बड़ी कॉफी टेबल बुक अलमारी से निकाल कर लाया और हमें दिखाने लगा उसमें शोले और अन्य फिल्मों के मैक मोहन के फोटो प्रकाशित थे।
ये क्षण बहुत भावनात्मक था। हम लोग बहुत आनंद महसूस कर रहे थे। वापसी की रेल यात्रा में यही बात करते एम पी पहुंच गए।
मैक साहब का 10 मई 2010 को निधन हो गया।
लेखक जनसंपर्क विभाग भोपाल में पदस्थ वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी श्री अशोक मनवानी हैं।
Murli ji,thanks ise share Kiya aapne.
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