घायल गौवंश, पशु पक्षी की सेवा का "अमिता" ने उठाया बीड़ा, शहर की महिलाओं के लिए बनी मिसाल, साथियों के साथ मिलकर कर रही काम
कटनी ( प्रबल सृष्टि )- शहर की युवती ने गौवंश, पशु पक्षियों, जानवरों की सेवा का बीड़ा उठाया है। वे घायल गौवंश, पशु पक्षी व जानवरों का सूचना मिलते ही अपने साथियों की मदद से खुद इलाज करती हैं। पहले उन्होंने प्राथमिक चिकित्सा स्वयं से की और अनुभव के साथ ही शासकीय पशु चिकित्सा विभाग से तीन माह का प्रशिक्षण भी लिया। घायल गौवंश व पशु पक्षी, जानवरों के लिए उन्होंने गौशाला भी बनाई है, जहां पर उनकी सेवा व इलाज निशुल्क कर रही हैं।
नगर के राजीव गांधी वार्ड निवासी अमिता श्रीवास एम. कॉम के साथ आईटीआई की डिग्री हासिल की है। इसके अलावा ब्यूटी पार्लर का कोर्स भी किया। अमिता ने बताया कि बचपन से उनके मन में गोसेवा की भावना थी और वे शुरू से ही मवेशियों की सेवा करती रही। लगभग चार वर्ष पूर्व ब्यूटी पार्लर, सिलाई आदि से मिलने वाली राशि के माध्यम से घायल गौवंश का इलाज करना, उनकी देखरेख, आवारा मवेशियों के भोजन आदि की व्यवस्था करने के साथ ही सड़क पर बैठने वाले मवेशियों को दुर्घटना से बचाने के लिए उनके सींग व गले में रेडियम पट्टी लगाने आदि का काम कर गौवंश की सेवा की।
अमिता ने गौवंश का इलाज करना धीरे-धीरे अपने अनुभव से सीखा और उसके बाद शासकीय पशु चिकित्सा विभाग से उन्होंने तीन माह की ट्रेनिंग भी ली। पिछले चार साल में अमिता ने 19 सौ 28 गौवंश का निशुल्क इलाज किया है। उन्होंने बताया कि रोजाना उनके पास 16 से 18 फोन कॉल आते हैं, जिसमें घायल गौवंश के इलाज के साथ ही नालों, कुओं में गिरने पर उनका रेस्क्यू कर बचाने काम वे कर रही हैं। अमिता शुरू से अकेले ही सेवा में लगी थीं लेकिन उनका जज्बा देखकर वर्तमान में उनके साथ छह युवाओं की टीम भी जुड़ी है, जो गौवंश के इलाज व उन्हें सुरक्षित गौशाला तक पहुंचाने में उनकी मदद कर रही है। गौसेवा के लिए अमिता को जिला व प्रदेश स्तर पर भी कई सम्मान मिले हैं।
लॉकडाउन में की सेवा
गर्मी के दिनों में प्यासे गौवंश आदि के लिए सीमेंट की टंकियां रखवाकर पानी की व्यवस्था करने का काम अमिता करती आ रही हैं। उसके साथ ही लॉकडाउन के दौरान जहां लोग आमजन की सेवा में लगे रहे तो अमिता भूखे-प्यासे घूमने वाले गौवंश के साथ ही श्वान, बंदरों, पशु-पक्षियों के लिए पानी व भोजन की व्यवस्था में पूरे लॉकडाउन में जुटी रहीं। उनकी गौशाला में गौवंश के अलावा उनके द्वारा बचाए गए बंदर, सांप, कछुआ, खरगोश आदि भी हैं। अमिता ने बताया कि कॉल आते ही वे गौवंश के इलाज के लिए मौके पर पहुंचती हैं और लोगों की मदद से घायल का इलाज करने के बाद नगर निगम या अन्य समाजसेवियों की मदद से गौवंश को गौशाला तक पहुंचाने का काम करती हैं। इसके अलावा रक्तदान के लिए युवाओं को प्रेरित करने का काम भी अमिता व उनकी टीम कर रही है।
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