कटनी ( प्रबल सृष्टि )- वैदिक काल की महान दार्शनिक और पुरूषवादी समाज में महिलाओं के गौरव को दर्शाने वाली गार्गी वाचकन्वी की प्रतिमा के रूप में प्रथम कृति को जबलपुर की शिल्पकार सुप्रिया अंबर ने कटनी स्टोन आर्ट फेस्टिवल आधारशिला को समर्पित की है। कलाकृति के रूप में फीमेल इंडियन फ्लासिफी के रूप में यह पहला कल्चर सबके सामने होगा, यह मानना है शिल्पकार अंबर का। सुप्रिया अंबर जबलपुर से कटनी स्टोन फेस्टिवल का हिस्सा बनने आई हैं और उन्होंने कटनी स्टोन पर प्राचीन भारतीय दार्शनिक गार्गी वाचकन्वी की प्रतिमा और उसके साथ उनकी बौद्धिक क्षमता को दर्शाती कलाकृति तैयार की है, जो 27 व 28 नवंबर को जागृति पार्क में आयोजित होने वाली प्रदर्शनी का हिस्सा होगी।
शिल्पकार अंबर का कहना है कि पूरे हिन्दुस्तान में आज भी हमारे पुरूष वर्ग के विद्वानों की प्रतिमाएं हीं चौराहों, भवनों आदि की शोभा रही हैं और उनकी विद्ववता को ही दर्शाया गया है। महिलाओं की प्रतिमा के रूप में वीरांगनाओं की प्रतिमाएं ही स्थापित हुई हैं और महिला विद्वानों की विद्ववता से लोग परिचित हों, इसको ध्यान में रखकर उन्होंने महिला दार्शनिक गार्गी की प्रतिमा की प्रथम कृति का निर्माण कर समाज को एक संदेश देने का प्रयास किया है।
ऋषि यज्ञवल्क्य को दी थी राजा जनक की सभा में चुनौती
गार्गी वाचकन्वी का जन्म लगभग 700 ईसा पूर्व हुआ था और वे एक प्राचीन भारतीय दार्शनिक थीं। वैदिक साहित्य में उन्हें एक महान प्राकृतिक दार्शनिक, वेदों के प्रसिद्ध व्याख्याता और ब्रह्मा विद्या के ज्ञान के साथ ब्रह्मवादी के नाम से जाना जाता है। उपनिषद में भी उनका नाम प्रमुख है। गार्गी ने विद्या के राजा जनक द्वारा आयोजित एक दार्शनिक बहस भाग लेकर संयम (आत्मा) के मुद्दे पर ऋषि यज्ञवल्क्य को चुनौती दी थी और यह भी कहा जाता है कि ऋग्वेद में उन्होंने कई भजन लिखे हैं। युवा उम्र से ही उनकी वैदिक ग्रंथों में गहरी रूचि थी और दर्शन के क्षेत्र में बहुत ही कुशल थीं। उन्होंने वेदों और शास्त्रों का ज्ञान प्राप्त किया और दर्शन के क्षेत्रों में अपनी दक्षता के लिए प्रसिद्ध हो गई व अपने ज्ञान में पुरुषों से भी आगे निकल गई। वे वेदों और उपनिषदों की उतनी ही जानकार थीं, जितनी कि वैदिक काल के पुरुष और पुरुष दार्शनिकों को वाद-विवाद में अच्छी तरह से चुनौती दे सकती थीं।
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