शानदार नक्काशी व पुरातन कलाकृति का है अद्भुत नमूना
कटनी - कटनी का पत्थर पुरातन समय से शिल्पकला के अनुरूप रहा है। जिले ही नहीं बल्कि आसपास के कई ऐतिहासिक स्थल, मंदिरों में आज भी कटनी के पत्थर पर की गई शानदार नक्काशी लोगों का आकर्षण है। पत्थर के शिल्पकला के अनुरूप होने का कारण था कि कल्चुरी काल के राजाओं ने कटनी के बिलहरी व कारीतलाई में अपने कला केन्द्र बना रखे थे। कुछ इसी तरह की कलाकृति का नमूना है जिले के बांधा-इमलाज का श्रीराधाकृष्ण मंदिर। लघु वृंदावन के नाम से प्रसिद्ध इस मंदिर की दीवारों, छतों में शानदार नक्काशी देखने को मिलती है और उन कलाकृतियों को जिन पत्थरों पर कलाकारों ने उकेरा है, वह जिले का ही सेंड स्टोन है।
गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि मंदिर में लगाया गया पत्थर रीठी तहसील के ग्राम सैदा से लाया गया था और उसे बैलगाड़ी के माध्यम से मजदूर लेकर आए थे। जिसे बिलहरी निवासी शिल्पकार बादल खान ने अपनी शिल्पकला से सजाया था। मंदिर में सामने की ओर पिलर व दीवारों लगे नक्काशीदार पत्थर आज भी लोगों को अपनी ओर खींचते हैं। भगवान श्रीराधा-कृष्ण जिस स्थान पर विराजित हैं, उसमें भी शानदार नक्काशी की गई है।
ये है मंदिर निर्माण की कहानी
बुजुर्ग बताते हैं कि गांव के मालगुजार पं. गोरेलाल पाठक ने मंदिर की आधार शिला रखी थी लेकिन अल्प आयु में ही उनकी मृत्यु हो गई। जिसके बाद उनकी पत्नी भगौता देवी व पूना देवी ने उनके संकल्प को आगे बढ़ाने का काम किया। मंदिर समिति महेश पाठक ने बताया कि मालगुजार की पत्नियां भगवान श्रीकृष्ण को पुत्र व राधारानी को पुत्रवधु मानती थीं। जिसके चलते वर्ष 1915 में मंदिर का निर्माण प्रारंभ कराया गया, जो 9 वर्ष बाद 1924 में पूर्ण हुआ। दो वर्ष बाद 1926 में मंदिर में प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा कराई गई। पाठक ने बताया कि उस दौरान मंदिर के निर्माण में 15 हजार रुपए और उसके साथ मालगुजार को गांव से मालगुजारी के रूप में मिलने वाला 11 साल का अनाज लगा था। बुजुर्गों ने बताया कि स्थापना के दो वर्ष बाद 1928 के भादों माह में सात दिन तक लगातार बारिश हुई थी और उस दौरान लोगों को तीन दिन व तीन रात बांसुरी की धुन सुनाई दी थी। मंदिर में साल भर पर्व के समय विविध आयोजन होते आ रहे हैं तो जन्माष्टमी पर्व पर सैकड़ों श्रद्धालुओं को हुजूम उमड़ता है।
इसी कला को आगे बढ़ाने आयोजन
जिले के सेंड स्टोन की खासियत को एक बार फिर से लोगों के सामने लाने के लिए जिला प्रशासन ने पहल प्रारंभ की है। एक जिला एक उत्पाद के तहत जिले के सेंड स्टोन व मार्बल का चुनाव किया गया है और 9 से 28 नवंबर तक जागृति पार्क में स्टोन आर्ट फेस्टीवल आधारशिला का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें देशभर के शिल्पकार स्टोन व मार्बल में अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे।
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