घटी हुई कमाई या बंद हुई कमाई के बाद गुजारा कैसे होगा इसपर कहीं कोई मंथन नही। व्यापारी, पक्की नौकरी या अन्य स्थाई रोजगार के अलावा भी बड़ा तबका ऐसा है जो छोटा मोटा काम या कम पगार वाली नौकरी कर गुजारा कर रहा होता है, उनका भी हाल दयनीय है। बताया जाता है कोरोना की दूसरी लहर में जिन लोगों की छुट्टियां की गईं उनमें कई अभी बेरोजगार हैं और इधर उधर काम मांग रहे हैं। अब इस तरफ भी ध्यान दिया जाए कि कैसे बेरोजगारी दूर हो और महंगाई कम हो। इसलिए अब रोजगार को वापस पटरी पर लाने की महती आवश्यकता है और इसमें स्थानीय जन को प्राथमिकता मिले। खासतौर पर इस बात पर भी ध्यान रहे कि बहुत से बड़ी उम्र के लोग भी कहीं न कहीं छोटा मोटा काम कर रहे होते हैं अगर परिस्थितियों वश इनका रोजगार नही रहता तो उन्हें दिक्कतें होंगी। जो काम - रोजगार देतें हैं उन्हें इस समय विशेष ध्यान देना होगा कि उनके निकाल देने से कोई रोजगार के लिए भटक सकता है और यह समय ऐसा नही है कि हर जगह काम ही काम है। शासन और प्रशासन भी रोजगार सृजन की दिशा में आगे चलें यह सभी के आपसी सहयोग के बिना पूरा नही हो सकता। अब कोरोना के बाद यह भी समय की बड़ी जरूरत है।
मुरली पृथ्यानी
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