( मुरली पृथ्यानी ) सब्जी दुकान में बेटा या बेटी अपने पिता या मां का हाथ बंटा रहे होते हैं तो चाट फुल्की वाले का सहयोगी भी उसका बेटा ही है। छोटे से व्यवसाय में ऐसा अक्सर दिखाई देता हैं। अब कई परिवारों को रोजाना की रोजी रोटी के वास्ते यह सब मजबूरी में ही सही करना पड़ता है। इससे यह बच्चे बचपन से ही गुजारे के संघर्ष को करीब से देख लेतें हैं। ऐसा नही करें तो उनके माता पिता की मदद फिर करेगा कौन ? खासकर कोरोना काल की वजह से कई छोटे व्यवसाय तबाह हो गए उन्हें घर गृहस्थी के लिए तो कुछ करना ही है तो उनके अपने बच्चे उनके सहयोगी हैं तो इसमें क्या बुरा हो सकता है ? बुरा तब है जब यह बच्चे पढ़ाई से वंचित रह जाए और ऐसा हरगिज नही होना चाहिए। प्रशासन को अगर इसकी चिंता है तो ऐसा कोई बच्चा पढ़ाई से दूर न होने पाए। कोरोना काल ने पढ़ाई आदि का भी बहुत नुकसान किया है। आज ही कटनी जिले की बाल एवं कुमार श्रम की विमुक्ति हेतु जिला स्तरीय टास्क फोर्स की बैठक आयोजित हुई है जिसमें बाल श्रमिकों का सघन निरीक्षण करना, स्कूल से ड्रॉप आउट होने वाले बालक बालिकाओं की सूची प्रतिमाह श्रम विभाग एवं महिला बाल विकास विभाग को उपलब्ध करने के निर्देश दिये है।
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