( मुरली पृथ्यानी ) ये वो समय नही है जब कोई कहे कि मैं डरता नही हूँ मैं तो बहादुर हूँ दिलेर हूँ। डर को बताने में लोग कमजोरी समझतें है लेकिन सौ बात की एक बात आज जो डरता है वही बहादुर है। जिसे जिस बात से डर लगता है वो उसके प्रति ज्यादा सचेत ही रहता है हर पक्ष को लेकर विचार कर लेता है और लापरवाह नही होता। जैसे कोई बाईक चलाते हुए डरता होगा तो कम से कम वह रफ्तार धीमी रखेगा, आड़ी तिरछी नही चलाएगा और किनारे से बचते बचाते हुए ही चलेगा। वहीं जिसे डर नही लगता वह रफ्तार तेज कर आड़ा तिरछा भी चलेगा उसे सड़क पर चलने वाले की भी परवाह नही होगी और यही नुकसान का कारण बन सकता है।
वर्तमान परिस्थितियों को देखकर डरना जरूरी है, जिसे डर लगेगा वही परिणामों को लेकर सचेत भी रहेगा और जो डरा हुआ नही है वो लापरवाह ही होगा, उसे परिणामों की चिंता भी नही होगी। असल में डर बहुत जरूरी होता है यह हर पक्ष के प्रति विचार कराता है और जो सुरक्षित रास्ता होता है वही चुनने में हमारी मदद ही करता है। आज कोरोना से जो डरेगा वह ज्यादा से ज्यादा सुरक्षित रहने के उपाय करेगा, लाभ हानि की चिंता न कर जीवन को बचाने के यत्न करता रहेगा और बचा भी रहेगा। बिना डरा हुआ जब खुद की ही चिंता नही करेगा तो दूसरों की परवाह तो दूर की बात है इसलिए खुद डरिये ये आपको सुरक्षा के भीतर रहने को मजबूर करेगा, जरा सा लापरवाह होने पर आपको खतरों के प्रति सावधान कर सुरक्षित रहने के उपायों पर ध्यान दिलाएगा। डरने वाला कभी गलत काम भी नही करेगा क्योंकि उसे परिणाम भी सामने दिखाई देगा।
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