एक जिंदगी मिली है जिंदा रहने के लिए.. रोटी, कपड़ा और मकान ही तो चाहिए..भले ही रहने को छोटा सा घर या झोपड़ी मिले पर अगर खुशी और सहजता के साथ स्वीकार हो तो आराम से गुजर बसर तो हो ही जाएगा.. वो कहते भी हैं न जब तूफान आता है तो उखड़ते बड़े दरख़्त पेड़ ही हैं .. जमीन की घास को तूफानों से कोई फर्क नहीं पड़ता.. क्या हमें यह नही विचार करना चाहिए कि इतनी सुंदर व्यवस्था हमारे लिए की गई है .. इसके बावजूद हम इनसे तालमेल नही बना पाते और व्यर्थ की बातों से डिप्रेशन में आकर इस अनमोल जीवन को त्याग देने की सोचना बहुत गलत बात है.. जीवन तो हमें मिला है इसका सदुपयोग करें .. खुद भी खुश रहें औरों को भी खुशी देने का कारण बने.. फिर जिस दिन दुनिया से जाना लिखा होगा तो चले ही जायेंगे.. यह जीवन बड़ा अनमोल मिला है.. बस जरूरतें कम रखें.. हर हाल में खुश रहना सीखें .. सिर्फ धन दौलत, जमीन जायजाद को लेकर ही सोचेंगे तो यह समझना चाहिए कि यह सिर्फ जरूरत की चीज है.. और जिनके पास यह नहीं होता वह भी खुशी खुशी जी लेते है.. इस जीवन की कद्र करें, जरूरतों को कम रखें.. कोई चीज न मिले तो विचलित भी न हों बस इस जीवन और चल रही सांसो को देने वाले का शुक्र करें।
मुरली पृथ्यानी
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