कटनी - जिले में खनिज संपदा, मार्बल और खाद्य प्रसंस्करण की वस्तुओं के उत्पादन के दृष्टिगत विभिन्न क्षेत्रों में संभावनायें तलाशकर एक्सपोर्ट एक्शन प्लान बनायें। जिले के निर्यातक उद्योगपतियों एवं उद्योग, कृषि, पशुपालन, उद्यानिकी,मत्स्य, वन विभाग की उपस्थिति में जिला निर्यात संवर्धन समिति की बैठक में कलेक्टर ने यह बात कही। इस मौके पर वन मण्डलाधिकारी रमेशचन्द्र विश्वकर्मा, सीईओ जिला पंचायत जगदीश चन्द्र गोमे,महाप्रबंधक उद्योग अजय श्रीवास्तव, उद्योगों के प्रतिनिधि अरविन्द गुगालिया, मनीष गेई, शंकर मिहानी, पुरुषोत्तम मिहानी भी उपस्थित रहे।
कलेक्टर प्रियंक मिश्रा ने कहा कि जिले में उत्पादित वस्तुओं के पिछले वर्षों के आंकड़ों के आधार पर विभिन्न क्षेत्रों में निर्यात को बढ़ाने की संभावनायें तलाशकर एक्सपोर्ट एक्शन प्लान बनाया जाये। औद्योगिक और खाद्य प्रसंस्करण एवं खनिज उत्पादों को भी एक्शन प्लान में शामिल करें। वन मण्डलाधिकारी ने बताया कि जिले में वनोपज के अन्तर्गत महुआ और चिरौंजी के अलावा बांस की खेती को प्रोत्साहित कर वनोपज के उत्पादों को भी निर्यात की स्थिति में ला सकते हैं। उद्यानिकी फसलो, आयुर्वैदिक औषधीय पौधों की खेती, हल्दी एवं अदरक सहित मसालों की खेती तथा स्वसहायता समूहों को जोड़कर ऑर्गेनिक खेती के प्रॉडक्ट कुटीर उद्योगों के माध्यम से निर्यात योग्य सामग्री उत्पादित की जा सकती है। खनिज संसाधनों में मार्बल, डोलोमाईट, रिफेक्ट्रीज की वस्तुओं में वल्यू एडीशन कर निर्यात की प्रचुर संभावनायें मिल सकती हैं। कृषि सैक्टर में धान और टमाटर वन जिला वन उत्पाद के खाद्य प्रसंस्करण की यूनिट स्थापित कर निर्यात की सभावना हो सकती है। उद्योग प्रतिनिधियों ने बताया कि वर्तमान में कटनी जिले से राईस और मार्बल का मुख्यतः निर्यात होता है। कटनी जिले के देश के मध्य बिन्दु में स्थापित होने के कारण वस्तुओं के परिवहन में लागत में वृद्धि होती है।
कलेक्टर ने जिले में उपलब्ध संसाधनों एवं वस्तुओं के उत्पादन की मात्रा के दृष्टिगत लघु कुटीर और वृहद् स्केल के औद्योगिक उत्पादन की मात्रा अनुसार कृषि, खाद्य प्रसंस्करण, खनिज, वन, स्वसहायता समूह, जैविक खेती के उत्पादों की सकल संभावनायें तलाशकर जिले की निर्यात एक्शन प्लान बनाने के निर्देश दिये।
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