कटनी। (मुरली पृथ्यानी) कुछ दिन पहले मैंने यूट्यूब पर एक वीडियो देखा था जिसमें दिल्ली के सदर बाजार स्थित चंदू छोला भटूरे वाले की दुकान के बारे में बताया जा रहा था। वह कह रहा था कि लॉक डाउन के कारण 4 महीने उसकी दुकान बंद रही थी और अब खुली हुई है तो धंधा केवल 20 प्रतिशत ही रह गया है, क्योंकि दिल्ली में खरीदारी करने आने वालों में कमी आई है। यह सिर्फ उसका ही नहीं बल्कि अपने कटनी में भी यही हाल लोगों द्वारा बताया जाता है। माधवनगर में जनरल स्टोर चलाने वाले एक दुकानदार बताते हैं कि गर्मी के सीजन को देखते हुए पहले ही काफी मात्रा में सामान मंगा लिया था लेकिन गर्मी लॉकडाउन में ही बीत गई और अब बहुत जरूरी वस्तु की जरूरत होने पर लेने लोग आते हैं, यही कपड़े सहित अन्य वस्तुओं के बाजार का हाल जानकारों द्वारा बताया जाता है। बताते हैं कि लोगों की खरीदारी करने की क्षमता में कमी आई है सिर्फ किराना, सब्जी और अति आवश्यक वस्तुएं ही खरीदी जा रही है। एक अनुमान के मुताबिक आने वाले समय में कृषि क्षेत्र में ही कुछ प्रतिशत रोजगार और उत्पन्न हो सकता है लेकिन वह भी इतना नहीं जितना कोरोना के कारण चलते आई कमी बताई जाती है। स्कूल बंद है, अभिभावक फीस नहीं भर पा रहे हैं, इधर अभिभावकों को परेशानी है तो स्कूल वालों की भी अपनी समस्याएं होंगी। शादी ब्याह में सीमित मेहमानों की वजह से टेंट लाइट का व्यवसाय करने वाले भी खासे प्रभावित हुए हैं। कटनी में एसोसिएशन वालों को उत्पन्न संकट के चलते स्थानीय विधायक को ज्ञापन देना पड़ा है। कम और मध्यम आमदनी वाले इन सबसे ज्यादा प्रभावित हैं, ज्यादा अमीर लोग तो यह समय काट सकते हैं परेशानी निम्न और मध्यम वर्ग की ज्यादा बताई जा रही है। सवाल यह है कि इन सब से निपटा कैसे जाएं ? कैसे रुपये का प्रवाह सबके हाथों में पहुंचे ? भरपूर रोजगार हो काम धंधे सुचारू हो सके ? यह कई सवाल हैं जिनका हल सरकारों को ही निकालना होगा वह भी बहुत जल्द। केंद्रीय और प्रदेश स्तर पर नीतियों में ढील भी दी जाना आवश्यक लगे तो जरूर से जरूर देनी चाहिए, लोगों के हाथ में पैसा होगा तो खर्चा बढ़ेगा तो यह पैसा बाजारों में आयेगा, सभी का काम चलेगा तो सभी उभरेंगे, आगे बढ़ेंगे, यही प्रयत्न हो, विचार हो मंथन हो और वह लागू हो जिससे परिणाम शीघ्र से शीघ्र दिखें।
Comments
Post a Comment