कटनी - मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि वर्तमान में देश और दुनिया सदी की सबसे बड़ी महामारी से जूझ रहा है। सरकार ने संक्रमण को रोकने तेजी से प्रयास प्रारंभ किये हैं और सहयोग के लिये समाज भी आगे आ रहा है। आज सबसे बड़ी चुनौती और सबसे बड़ी प्राथमिकता कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने और इसके बचाव की है। मुख्यमंत्री शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेन्सिंग के माध्यम से प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से चर्चा कर रहे थे। कलेक्ट्रेट स्थित वीडियो कॉन्फ्रेन्सिंग कक्ष में विधायक संजय सत्येन्द्र पाठक, संदीप जायसवाल, कलेक्टर शशिभूषण सिंह, अपर कलेक्टर साकेत मालवीय, पूर्व महापौर शशांक श्रीवास्तव, पार्टी अध्यक्ष राम रतन पायल, पीताम्बर टोपनानी, आयुक्त नगर निगम आर.पी सिंह, सीईओ जिला पंचायत जगदीश चन्द्र गोमे, एसडीएम बलबीर रमन, सीएमएचओ डॉ एस के निगम, सिविल सर्जन डॉ एस के शर्मा भी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पूरे प्रदेश में 14 अप्रैल तक लॉकडाउन है। कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने हर स्तर और हर स्थान पर सोशल डिस्टेन्स का कड़ाई से पालन करें। सभी लोग अपने घरों में रहें। आवश्यक सेवायें चालू रखें। प्रशासन और पुलिस समन्वित प्रयास कर लोगों के स्वास्थ्य और संक्रमण से बचाव के लिये दिन-रात मेहनत कर रहे हैं। गरीब और रोजी-रोटी कमाने वाले लोगों को परेशानी है। सरकार राहत और अत्यावश्यक सेवाओं के साथ सभी को भोजन, आश्रय के प्रबंध कर रही है। स्वयंसेवी संस्थायें सामाजिक संगठन, व्यापारिक औद्योगिक संस्थायें सहित समूदाय इनके भोजन और आश्रय व्यवस्था में प्रशासन के समन्वय से सहयोग कर सकते हैं। लॉकडाउन के दौरान लोगों को तीन प्रकार से भोजन की व्यवस्था की जा रही है। जिसमें घरों पर तैयार भोजन वितरण, कम्युनिटी किचिन और सूखे अनाज का वितरण के माध्यम से व्यवस्था की गई है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्पष्ट किया कि खाद्य आपूर्ति, दवा सहित अत्यावश्यक सेवाओं के लिये लॉकडाउन में रोक नहीं है। उन्होने सभी कलेक्टरों से कहा कि इस विपदा की घड़ी में कालाबाजारी और मुनाफाखोरी करने वाले लोगों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही करने में कोताही न बरतें। उन्होने कहा कि विदेशों से आये नागरिकों का निर्धारित समय तक आईसोलेशन अनिवार्य रुप से करायें। इसी प्रकार दूसरे प्रान्तों और स्थानों से आने वाले व्यक्तियों की स्क्रीनिंग और परीक्षण जरुर करायें। उन्होने कहा कि मध्यप्रदेश के निवासियों के दूसरे प्रान्तों में रहने की स्थिति में उनकी देखभाल के लिये संबंधित प्रदेशों के मुख्यमंत्रीगणों से आग्रह किया गया है।
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