कटनी - जिले में संचालित समस्त गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों, वित्तीय संस्थाओं, मल्टी स्टेट को-ऑपरेटिव समितियां और रकम का लेन-देन करने वाली समस्त वित्तीय संस्थानों द्वारा मध्यप्रदेश निक्षेपकों के हित का संरक्षण अधिनियम 2000 के तहत सक्षम प्राधिकारी को निर्धारित प्रारुप में मासिक जानकारी दी जाना आवश्यक है। जिले की सभी गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थायें, जो जनता से बचत या जमा कराकर लेन देन का काम करती हैं, वे प्रत्येक माह की 5 तारीख तक प्रपत्र क, ख और ग की जानकारी कलेक्ट्रेट की संस्थागत वित्त शाखा में अनिवार्य रुप से भेजें। इस आशय के निर्देश कलेक्टर केवीएस चौधरी ने तत्संबंधी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों, संस्थाओं की बैठक में दिये। इस मौके पर प्रभारी अधिकारी दीपक सिंह भी उपस्थित रहे।
कलेक्टर ने मध्यप्रदेश निक्षेपकों के हितों का संरक्षण अधिनियम 2000 के प्रावधानों की जानकारी देते हुये बतायाकि राज्य शासन द्वारा इन अधिनियम के क्रियान्वयन के लिये जिला कलेक्टर को सक्षम प्राधिकारी नियुक्त किया गया है। उन्होने बताया कि शासन स्तर पर इस आशय की शिकायतें प्राप्त हो रही हैं कि गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों, संस्थाओं, मल्टी स्टेट को-ऑपरेटिव समितियों एवं अन्य वित्तीय संस्थाओं द्वारा आम जनता से बचत निवेशक के रुप में राशि एकत्र की जा रही है और तय समय पर उन्हें लौटाया नहीं जा रहा है। अथवा राशि प्राप्त करते समय किये गये वादों को पूरा नहीं किया जा रहा है। जिले में यदि एैसी संस्था, कंपनी द्वारा अनाधिकृत रुप से कोई व्यवसाय किया जाता है अथवा निक्षेपकों द्वारा निक्षेप जमा किया जा रहा है, तो निक्षेपकों के हितों के संरक्षण के लिये मध्या्रदेश निक्षेपकों के हित का संरक्षण अधिनियम 2000 के तहत कंपनी के संचालक, प्रबंधक, प्रमोटर्स के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही करने के प्रावधान हैं।
जिले के आम नागरिकों से प्रशासन की अपील जारी की गई है कि अपंजीकृत एवं फर्जी तथा धोखाधड़ी करने वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों, वित्तीय संस्थाओं द्वारा यदि प्रलोभन देकर कोई राशि जमा कराई जाती है, तो राशि जमा करने के पहले भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा निक्षेप राशि स्वीकार्य करने हेतु जारी पंजीयन प्रमाण पत्र संस्था द्वारा कार्य प्रारंभ करने का प्रमाण पत्र अवश्य देखकर पुष्टि कर लें। यदि किसी अपंजीकृत फर्जी धोखाधड़ी करने अथवा जमा राशि का भुगतान नहीं करने वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों, वित्तीय संस्थाओं आदि की जानकारी प्रकाश में आती है, तो इसकी लिखित सूचना संबंधित पुलिस थाने, पुलिस अधीक्षक अथवा जिला कलेक्टर कार्यालय को दी जा सकती है।
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