कटनी - जिला स्वास्थ्य समिति अध्यक्ष एवं कलेक्टर केवीएस चौधरी के मार्गदर्शन में जिले मे तैयार की गई माईक्रोप्लान कार्ययोजना के अनुसार अभी तक 1 लाख 51हजार 284 स्कूली बच्चों को एमआर का टीका लगाकर खसरा-रुबेला जैसी खतरनाक बीमरियों से सुरक्षित किया जा चुका है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ0एस0के0 निगम ने बताया कि खसरा-रुबेला का कोई विशेष इलाज नहीं है। एमआर टीकाकरण से बच्चे के शरीर मे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर खसरा-रुबेला से सुरक्षित किया जा सकता है। एमआर वैक्सीन पूर्णतः सुरक्षित है। अभियान के दौरान प्रत्येक 9 माह से 15 वर्ष आयु तक के बच्चों को टीका लगाया जा रहा है। टीकाकरण के बाद बच्चों को हल्के लाल चकते या रेसेज आ सकते हैं। एैसे में घबराना बिलकुल नहीं चाहिये। बच्चों की टीकाकरण के बाद निगरानी के लिये बच्चों की सेहत की देखभाल करने आरबीएस चिकित्सक दल और पैरामेडिकल स्टाफ की तैनाती की गई है। डॉ0 निगम ने बताया कि टीकाकरण के दौरान पूर्णतः सुरक्षित जीवाणुरोधी एडीसिरिंज का इस्तेमाल किया जाता है। एडीसीरिंज की खास बात है कि प्लंजर को एक बार खींचने पर सीरिंज स्वतः ही लॉक हो जाती है। इसलिये इसका दोबारा इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। हर बच्चे को पृथक नई सीरिंज से ही टीका लगाया जा रहा है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने बच्चों के अभिभावकों को स्कूल के अध्यापकों और टीकाकृत बच्चों से आग्रह करते हुये कहा है कि अपने परिजनों अपने साथी बच्चों को भी खसरा-रुबेला से सुरक्षित करने के लिये प्रेरित करें। उन्हें बतायें कि यह टीका पूर्णतः सुरक्षित है। एमआर टीका में ना के बराबर दर्द होता है। टीका दाहिने हाथ में चमड़ी के नीचे लगाया जाता है। डॉ0 निगम ने बताया कि 15 जनवरी से अब तक जिले में 1664 स्कूलों के 1 लाख 51 हजार 284 बच्चों को सुरक्षित टीकाकरण किया जा चुका है। प्रथम चरण में तैयार माईक्रोप्लान के अनुसार 2615 स्कूलों के सभी 15 वर्ष तक के बच्चों को एमआर टीकाकरण किया जायेगा।
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