
यह एक दिन भर की खबर बन कर रह जाएगी लेकिन इस सवाल का जवाब कौन देगा कि नो एंट्री होने के बावजूद शहर में यह ट्रक कैसे घुस आते हैं ? अभी 5 दिन ही हुए हैं सड़क सुरक्षा समिति की बैठक को आयोजित हुए, लेकिन यहाँ लिए जाने वाले निर्णय क्यों धरातल पर अमल में नहीं आते ? इससे पहले भी इस तरह के हृदयविकारक हादसे हुए हैं लेकिन सिलसिला रुका नहीं है। यातायात सुधार के नाम पर सिर्फ दो पहिया वाहनों के कागज और हेलमेट पर जोर दिया जा रहा है और इधर यमराज बने हुए ट्रकों को इतनी छूट की खुल्लम खुल्ला नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए निर्दोषों को कुचल दे रहें हैं। जरूरत है भारी वाहनों के लिए बने यातायात नियमों का सख्ती से पालन कराए जाने का और नो एंट्री में छूट देने वालों पर कार्यवाही करने का।
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