कटनी / जिला मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर दूर बहोरीबंद विकासखंड की ग्राम पंचायत बहोरीबंद में शासन के प्रयासों ने महिला समूह को सबल बनाया है। जिसके मद्धेनजर आजीविका मिशन से जुड़कर जागृति महिला स्वसहायता समूह ने आर्थिक और सामाजिक सम्मान हासिल किया है। 13 सदस्यीय इस समूह की महिलायें अब टिफिन बनाकर अपना आर्थिकोपार्जन कर रही हैं।
उल्लेखनीय है कि जागृति महिला स्वसहायता समूह गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाली 13 महिला सदस्यों का समूह है। जिसमें 5 विधवा महिलायें शामिल हैं। समूह में जुड़ने के पहले विभिन्न विषम परिस्थितियों तथा आर्थिक एवं सामाजिक अपमान को सहन करने के अलावा इनके पास कोई रास्ता न था। अपने अनुभव साझा करती हुईं समूह की सदस्य बताती हैं कि पहले एैसा लगता था कि यही जिल्लत भरा जीवन ही जीना होगा। न ही आपनी मदद कर पायेंगे, न ही परिवार की। दूसरों पर आश्रित रहकर जीवन जीना मजबूरी हो गई थी।
लेकिन समय बदला, अंधेरा छटने लगा सूरज की लाल रोशनी भी हम सब तक आशा की किरण बनकर स्वसहायता समूह के रूप में पहुंचने लगी। सभी सदस्य समूह से जुड़कर आगे की ओर बढ़ने लगे। धीरे-धीरे शासन का सहयोग मिलने लगा। जिससे इन 13 महिलाओं के जीवन में सकारात्मक बदलाव शासन के प्रयास से आया। जिसने इन्हें ना महज आर्थिक रुप से मजबूत बनाया। बल्कि समाज में सम्मान भी दिलाया। आज जागृति स्वसहायता समूह एक विद्यालय एवं तीन आंगनबाड़ी केन्द्रों में मध्यान भोजन संचालित कर रहा है। साथ ही और अधिक बचत के लिये जुलाई 2017 से आजीविका मिशन विकासखंड बहोरीबंद की टीम सदस्यों से मिलकर बनाई गई समूह की आर्थिक विकास की योजना व बैंक के सहयोग से समूह को एक लाख रुपए का आर्थिक सहयोग सीसीएल के रूप में प्राप्त हुआ। जिसके बाद अब इस आर्थिक सहायता का सदुपयोग करके बहोरीबंद में ही जागृति स्वसहायता समूह द्वारा टिफिन सेंटर प्रारंभ किया गया है।
उल्लेखनीय है कि जागृति महिला स्वसहायता समूह गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाली 13 महिला सदस्यों का समूह है। जिसमें 5 विधवा महिलायें शामिल हैं। समूह में जुड़ने के पहले विभिन्न विषम परिस्थितियों तथा आर्थिक एवं सामाजिक अपमान को सहन करने के अलावा इनके पास कोई रास्ता न था। अपने अनुभव साझा करती हुईं समूह की सदस्य बताती हैं कि पहले एैसा लगता था कि यही जिल्लत भरा जीवन ही जीना होगा। न ही आपनी मदद कर पायेंगे, न ही परिवार की। दूसरों पर आश्रित रहकर जीवन जीना मजबूरी हो गई थी।
लेकिन समय बदला, अंधेरा छटने लगा सूरज की लाल रोशनी भी हम सब तक आशा की किरण बनकर स्वसहायता समूह के रूप में पहुंचने लगी। सभी सदस्य समूह से जुड़कर आगे की ओर बढ़ने लगे। धीरे-धीरे शासन का सहयोग मिलने लगा। जिससे इन 13 महिलाओं के जीवन में सकारात्मक बदलाव शासन के प्रयास से आया। जिसने इन्हें ना महज आर्थिक रुप से मजबूत बनाया। बल्कि समाज में सम्मान भी दिलाया। आज जागृति स्वसहायता समूह एक विद्यालय एवं तीन आंगनबाड़ी केन्द्रों में मध्यान भोजन संचालित कर रहा है। साथ ही और अधिक बचत के लिये जुलाई 2017 से आजीविका मिशन विकासखंड बहोरीबंद की टीम सदस्यों से मिलकर बनाई गई समूह की आर्थिक विकास की योजना व बैंक के सहयोग से समूह को एक लाख रुपए का आर्थिक सहयोग सीसीएल के रूप में प्राप्त हुआ। जिसके बाद अब इस आर्थिक सहायता का सदुपयोग करके बहोरीबंद में ही जागृति स्वसहायता समूह द्वारा टिफिन सेंटर प्रारंभ किया गया है।
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