कटनी / पॉलीथीन, प्लास्टिक व थर्माकोल से बने डिस्पोजल पूर्णतः प्रतिबंधित कर दिये गये हैं। इसका आदेश धारा 144 दण्डप्रक्रिया संहिता 1973 के तहत कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी विशेष गढ़पाले ने जारी कर दिया है। बहरहाल यह आदेश 1 मई 2017 से सम्पूर्ण जिले में प्रभावशील होगा। जारी किये गये आदेश में कलेक्टर विशेष गढ़पाले ने भारत के राजपत्र में प्रकाशित संयुक्त सचिव, पर्यावरण एवं वन मंत्रालय नई दिल्ली और राष्ट्रीय हरित अधिकरण मध्य जोन, बैंच भोपाल के द्वारा इस संदर्भ में पारित आदेश को भी कोड किया है।
आदेश को लेकर कलेक्टर विशेष गढ़पाले ने शासन के निर्देशों के मद्धेनजर सभी संबंधित सक्षम अधिकारियों से विचार-विमर्श किया। जिसमें सभी के द्वारा पॉलीथीन के उपयोग को मानवक्षेम, जीव-जन्तु, जानवरों, पेड़-पौधों के लिये हानिकारक व वायुमण्डल प्रदूषित करने वाला साथ ही स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डालने वाला बताया गया। इस कारण पॉलीथीन तथा प्लास्टिक, थर्माकोल से बने डिस्पोजेबल बर्तनों के विनिर्माण, विक्रय तथा भण्डारण एवं उनके उपयोग पर प्रतिबंध लगाया जाना आवश्यक था। जिसके मद्धेनजर जिला मजिस्ट्रेट विशेष गढ़पाले ने प्लास्टिक बैग व प्लास्टिक व थर्माकोल से बने डिस्पोजेबल बर्तनों के विनिर्माण, विक्रय तथा भण्डारण पर रोक लगाये जाने के लिये धारा 144 दण्डप्रक्रिया संहिता के प्रावधानों के अंतर्गत प्रतिबंधात्मक आदेश जारी कर दिया है।
आदेश के तहत इन पर रहेगा प्रतिबंध, उल्लंघन पर होगी कार्यवाही
इस आदेश के तहत 1 मई 2017 से कोई भी व्यक्ति 40 माईक्रॉन से कम के पॉलीथीन या उससे बने कैरीबैग या अन्य पैकेट का उपयोग नहीं करेगा। थर्माकोल व प्लास्टिक से बने हुये डिस्पोजेबल बर्तन थाली, प्लेट व कटोरी का उपयोग नहीं करेगा। साथ ही थर्माकोल अथवा प्लास्टिक के डिस्पोजेबल बर्तन जैसे ग्लास, दोना, चम्मच इत्यादि के उपयोग पर भी प्रतिबंध रहेगा। सम्पूर्ण कटनी जिले मे इनके निर्माण, व्यापार, भण्डारण तथा उपयोग को प्रतिबंधित करते हुये इस आदेश का उल्लंघन करते पाये जाने पर त्रुटिकर्ता संस्था, व्यापारी, उद्योगपति या अन्य के विरुद्व अधिनियम के प्रावधानों के तहत कार्यवाही की जायेगी।
भण्डारण, विक्रय, वितरण और उपयोग के दोरान यह शर्तें करनी होंगी पूरी
जिला मजिस्ट्रेट विशेष गढ़पाले द्वारा जारी प्रतिबंधात्मक आदेश के तहत पॉलीथीन, प्लास्टिक व थर्माकोल के सैशे के विनिर्माण में भण्डारण, वितरण, विक्रय और उपयोग के दौरान कुछ शर्तें पूरी करनी होंगी। जिसमें कैरीबैग या तो सफेद या केवल उन रंगों के अनुसार होंगे, जो खाद्य सामग्री, भेषजीय पदार्थों और पीने के पानी के संपर्क में आने वाली प्लास्टिक के उपयोग के लिये समय-समय पर यथा संशोधित रंगकों की सूची भारतीय मानक ब्यूरो के निर्देश के अनुरुप हैं।
कोई भी व्यक्ति खाद्य सामग्री को भण्डार करने, वहन करने, वितरण करने या पैकेजिंग करने के लिये पुनः रिसाईकल्ड या कंपोस्ट योग्य प्लास्टिकों से बनें कैरी बैगों का उपयोग नहीं करेगा। साथ ही कोई भी व्यक्ति 40 माईक्रॉन से कम पुनः चक्रित या कंपोस्ट योग्य प्लास्टिक से बने किसी कैरीबैग का विनिर्माण, भण्डारण, वितरण व विक्रय नहीं करेगा।
इसके साथ ही गुटखा, तम्बाखू और पान मसाला के भण्डारण, पैकिंग या बिक्री के लिये प्लास्टिक सामग्री युक्त सैशे का उपयोग नहीं किया जायेगा। साथ ही समय-समय पर शासन द्वारा जारी निर्देशों एवं भारतीय मानक ब्यूरो के द्वारा कंपोस्ट योग्य प्लास्टिक के लिये जारी आदेशों का पालन करना होगा।
पॉलीथीन या प्लास्टिक व थर्माकोल के उपयोग से होती हैं ये समस्यायें
गौरतलब है कि पॉलीथीन, प्लास्टिक व थर्माकोल के उपयोग से जहां पर्यावरणीय नुकसान होता है। वहीं पशुजीवन के लिये यह खतरा भी है। इनके कारण सफोकेशन से ना सिर्फ पशु बल्कि नवजान शिशु व एवं छोटे बच्चे भी प्लास्टिक व पॉलीथीन के कारण अपनी जान गवां देते हैं। क्योंकि पॉलीथीन, प्लास्टिक बैग पतली एवं एयरटाईट होती है। इससे यह बच्चों की मुंह एवं स्वांसनली बंद कर देती है। इनके कारण प्रदूषण भी फैलता है। जोकि लंबे समय तक क्षारित नहीं होता है। इनको जलाने से हारिकारक धुंआ निकलता है। जिससे वायु प्रदूषण बढ़ता है। उल्लेखनीय है कि पॉलीथीन को खुले में जलाने से हाईड्रोजन साईनाइड गैस निकलती है, जो कैंसर का कारक भी है। साथ ही यह अनविकरणीय भी है। क्योंकि पेट्रोकैमिकल से बने होने के कारण पॉलीथीन/प्लास्टिक व थर्माकोल नवीकरणीय नहीं है। इनको पेपर बैग की तरह रिसाईकल नहीं किया जा सकता।
इनसे कृषि पर भी कुप्रभाव पड़ता है। इनमें निस्तारण व्यवस्था का भी अभाव है। साथ ही नालियों
एवं पाईपों में जलभराव की स्थिति भी पॉलीथीन, प्लास्टिक व थर्माकोल के कारण होती है। जो कि बाढ़ आने का भी महत्वपूर्ण कारण है। साथ ही सामान्यतः पॉलीथीन के बैग, प्लास्टिक खाद्य पदार्थों के रखने के लिये उपयोग किये जाते हैं। यह पाया जाता है कि रंगीन पॉलीथीन बैग एवं प्लास्टिक में लैड एवं कैडियम पाया जाता है। जो कि जहरीला है एवं मानव स्वास्थ्य के लिय हानिकारक भी होता है। इन सब को मद्धेनजर रखते हुये यह प्रतिबंधात्मक आदेश जिला मजिस्ट्रेट द्वारा जारी किया गया है।
आदेश को लेकर कलेक्टर विशेष गढ़पाले ने शासन के निर्देशों के मद्धेनजर सभी संबंधित सक्षम अधिकारियों से विचार-विमर्श किया। जिसमें सभी के द्वारा पॉलीथीन के उपयोग को मानवक्षेम, जीव-जन्तु, जानवरों, पेड़-पौधों के लिये हानिकारक व वायुमण्डल प्रदूषित करने वाला साथ ही स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डालने वाला बताया गया। इस कारण पॉलीथीन तथा प्लास्टिक, थर्माकोल से बने डिस्पोजेबल बर्तनों के विनिर्माण, विक्रय तथा भण्डारण एवं उनके उपयोग पर प्रतिबंध लगाया जाना आवश्यक था। जिसके मद्धेनजर जिला मजिस्ट्रेट विशेष गढ़पाले ने प्लास्टिक बैग व प्लास्टिक व थर्माकोल से बने डिस्पोजेबल बर्तनों के विनिर्माण, विक्रय तथा भण्डारण पर रोक लगाये जाने के लिये धारा 144 दण्डप्रक्रिया संहिता के प्रावधानों के अंतर्गत प्रतिबंधात्मक आदेश जारी कर दिया है।
आदेश के तहत इन पर रहेगा प्रतिबंध, उल्लंघन पर होगी कार्यवाही
इस आदेश के तहत 1 मई 2017 से कोई भी व्यक्ति 40 माईक्रॉन से कम के पॉलीथीन या उससे बने कैरीबैग या अन्य पैकेट का उपयोग नहीं करेगा। थर्माकोल व प्लास्टिक से बने हुये डिस्पोजेबल बर्तन थाली, प्लेट व कटोरी का उपयोग नहीं करेगा। साथ ही थर्माकोल अथवा प्लास्टिक के डिस्पोजेबल बर्तन जैसे ग्लास, दोना, चम्मच इत्यादि के उपयोग पर भी प्रतिबंध रहेगा। सम्पूर्ण कटनी जिले मे इनके निर्माण, व्यापार, भण्डारण तथा उपयोग को प्रतिबंधित करते हुये इस आदेश का उल्लंघन करते पाये जाने पर त्रुटिकर्ता संस्था, व्यापारी, उद्योगपति या अन्य के विरुद्व अधिनियम के प्रावधानों के तहत कार्यवाही की जायेगी।
भण्डारण, विक्रय, वितरण और उपयोग के दोरान यह शर्तें करनी होंगी पूरी
जिला मजिस्ट्रेट विशेष गढ़पाले द्वारा जारी प्रतिबंधात्मक आदेश के तहत पॉलीथीन, प्लास्टिक व थर्माकोल के सैशे के विनिर्माण में भण्डारण, वितरण, विक्रय और उपयोग के दौरान कुछ शर्तें पूरी करनी होंगी। जिसमें कैरीबैग या तो सफेद या केवल उन रंगों के अनुसार होंगे, जो खाद्य सामग्री, भेषजीय पदार्थों और पीने के पानी के संपर्क में आने वाली प्लास्टिक के उपयोग के लिये समय-समय पर यथा संशोधित रंगकों की सूची भारतीय मानक ब्यूरो के निर्देश के अनुरुप हैं।
कोई भी व्यक्ति खाद्य सामग्री को भण्डार करने, वहन करने, वितरण करने या पैकेजिंग करने के लिये पुनः रिसाईकल्ड या कंपोस्ट योग्य प्लास्टिकों से बनें कैरी बैगों का उपयोग नहीं करेगा। साथ ही कोई भी व्यक्ति 40 माईक्रॉन से कम पुनः चक्रित या कंपोस्ट योग्य प्लास्टिक से बने किसी कैरीबैग का विनिर्माण, भण्डारण, वितरण व विक्रय नहीं करेगा।
इसके साथ ही गुटखा, तम्बाखू और पान मसाला के भण्डारण, पैकिंग या बिक्री के लिये प्लास्टिक सामग्री युक्त सैशे का उपयोग नहीं किया जायेगा। साथ ही समय-समय पर शासन द्वारा जारी निर्देशों एवं भारतीय मानक ब्यूरो के द्वारा कंपोस्ट योग्य प्लास्टिक के लिये जारी आदेशों का पालन करना होगा।
पॉलीथीन या प्लास्टिक व थर्माकोल के उपयोग से होती हैं ये समस्यायें
गौरतलब है कि पॉलीथीन, प्लास्टिक व थर्माकोल के उपयोग से जहां पर्यावरणीय नुकसान होता है। वहीं पशुजीवन के लिये यह खतरा भी है। इनके कारण सफोकेशन से ना सिर्फ पशु बल्कि नवजान शिशु व एवं छोटे बच्चे भी प्लास्टिक व पॉलीथीन के कारण अपनी जान गवां देते हैं। क्योंकि पॉलीथीन, प्लास्टिक बैग पतली एवं एयरटाईट होती है। इससे यह बच्चों की मुंह एवं स्वांसनली बंद कर देती है। इनके कारण प्रदूषण भी फैलता है। जोकि लंबे समय तक क्षारित नहीं होता है। इनको जलाने से हारिकारक धुंआ निकलता है। जिससे वायु प्रदूषण बढ़ता है। उल्लेखनीय है कि पॉलीथीन को खुले में जलाने से हाईड्रोजन साईनाइड गैस निकलती है, जो कैंसर का कारक भी है। साथ ही यह अनविकरणीय भी है। क्योंकि पेट्रोकैमिकल से बने होने के कारण पॉलीथीन/प्लास्टिक व थर्माकोल नवीकरणीय नहीं है। इनको पेपर बैग की तरह रिसाईकल नहीं किया जा सकता।
इनसे कृषि पर भी कुप्रभाव पड़ता है। इनमें निस्तारण व्यवस्था का भी अभाव है। साथ ही नालियों
एवं पाईपों में जलभराव की स्थिति भी पॉलीथीन, प्लास्टिक व थर्माकोल के कारण होती है। जो कि बाढ़ आने का भी महत्वपूर्ण कारण है। साथ ही सामान्यतः पॉलीथीन के बैग, प्लास्टिक खाद्य पदार्थों के रखने के लिये उपयोग किये जाते हैं। यह पाया जाता है कि रंगीन पॉलीथीन बैग एवं प्लास्टिक में लैड एवं कैडियम पाया जाता है। जो कि जहरीला है एवं मानव स्वास्थ्य के लिय हानिकारक भी होता है। इन सब को मद्धेनजर रखते हुये यह प्रतिबंधात्मक आदेश जिला मजिस्ट्रेट द्वारा जारी किया गया है।
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