पाँच साल बाद फिर वह दिन नजदीक आ गया है जिस दिन मतदाताओं से मिलें मतो के आधार पर प्रत्याशियों को मिलीं हार जीत से राजनैतिक दल अपनी सरकार बनायेंगे और पाँच साल तक प्रदेश की सता पर काबिज रहेंगे. हर बार की तरह इस बार भी राजनैतिक दलों ने अपनी अपनी उपलब्धि गिनाने में कोई कसर नही छोड़ी है लेकिन मतदाता किसपर अपना भरोसा जतायेंगे यह सिर्फ़ वही जानता है. प्रदेश में पिछले 10 वर्षों से भाजपा की सरकार काबिज है और यह सता उसे अपनी योग्यताओ के बदले नहीं बल्कि काँग्रेस शासन काल में जन्मी अव्यवस्थाओ के चलते मिली है. वर्ष 2008 में हुए चुनावों में प्रदेश की जनता ने पुनः शिवराज सिंह चौहान पर ही भरोसा कर उसे सत्ता तक पहुँचाया है, इससे पहले 2003 में उमा भारती के नेतृत्व में सरकार बनी थी लेकिन बाद में उमा भारती को हाशिये पर डाल दिया गया और उनकी स्थिति आज भी वैसे ही है. भाजपा में आज शिवराज सिंह चौहान के अलावा कोई दूसरा चेहरा ही नही है हालाँकि इस बार शिवराज सिंह चौहान के लिए भी 2008 जैसी स्थिति नही है. बीते कार्यकाल में कई बातें ऐसी सामने आई जिसके चलते अब स्वर्णिम मध्यप्रदेश का नारा उतनी मज़बूती से नही कहा जाता
कटनी - जिले की मुडवारा सीट मुख्यतः शहरी सीट है जिसपर जनता ने पिछले 10 वर्षो से भाजपा के विधायक को बिठाया है लेकिन भाजपा हर बार अपने ही विधायक को बदलती रही है . वर्ष 2008 में अलका जैन को बदलकर इस सीट से राजू पोद्दर को चुनाव में प्रत्याशी बनाया गया क्योंकि अलका जैन की स्थिति 2008 में अच्छी नही बताई जा रही थी, कुछ इसी तरह इस बार राजू पोद्दर पर भाजपा भरोसा नही कर पाई और कुछ समय पहले ही भाजपा में आए संदीप जायसवाल को प्रत्याशी बनाया है, जैसे ही इनकी टिकट घोषित हुई भाजपा के पुराने नेता चमनलाल आनंद, रामचंद तिवारी, सुकिर्ति जैन एकजुट संदीप जायसवाल का विरोध जताने लगे थे, चमनलाल आनंद ने निर्दलीय प्रत्याशी बनकर चुनाव लड़ने का मन बनाया लेकिन बाद में उन्होंने अपना नाम वापस ले लिया था, अब भाजपा से संदीप जायसवाल और काँग्रेस से फिरोज अहमद समेत इस सीट से कुल 11 प्रत्याशी अपना भाग्य आजमा रहे है लेकिन सीधी टक्कर काँग्रेस और भाजपा की ही बताई जा रही है
शहर की आम समस्याओं से इन्हे नही मतलब
कटनी शहर की घोर अराजक यातायात व्यवस्था हो या जगह जगह बिकने वाली अवैध शराब हो या गांजा हो, अब तो पूरे जिले में स्मैक जैसा घातक नशा भी पूरी तरह से पैर जमा चुका है. चुने हुए जनप्रतिनिधियों को इससे कोई मतलब नही की इसके दूरगामी भीषण परिणाम क्या होंगे ? जिला अथवा पुलिस प्रशासन की इस ओर लापरवाही का इन्होंने कभी विरोध नही किया . अब पुनः चुनाव का दिन नजदीक आ गया है, आम जनता को भी अपने वोट की भूमिका का महत्व समझते हुए अपने आस पास हो रहे अवैध कामों ओर जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों द्वारा निभाई गई निष्क्रिय भूमिका को देखते हुए ऐसा जनप्रतिनिधि चुनना चाहिए जो सही मायनों में इस शहर के कुरूप होते चेहरे को सुधार सकने की ईमानदार नीयत ओर माद्दा रखता हो सिर्फ़ थोथी बातों में आकर या भावनाओं में बहकर वोट देने से हम अपना भविष्य दाँव पर नही लगा सकते
इस बार विधानसभा चुनावों में जिले में कुल मतदाताओं की संख्या 8 लाख 18 हजार 291 है, जिसमे पुरुष मतदाता 4 लाख 28 हजार 171, महिला मतदाता 3 लाख 90 हजार 98, व अन्य कुल 22 है . सर्वाधिक मतदाता मुडवारा में 211403 जिसमे पुरुष 110333 महिला 101062 व अन्य 8 है, बड़वारा में मतदाता 207050 जिसमे पुरुष 108574 महिला 98472 व अन्य 4 है, बहोरीबंद में मतदाता 204787 जिसमे पुरुष 106587 महिला 98191 व अन्य 9 है, सबसे कम मतदाता विजयराघवगढ़ में कुल 195051 है जिसमे पुरुष 102677 महिला 92373 व अन्य 1 है .
जिले में 80 प्रतिशत मतदान का लक्ष्य
जिला निर्वाचन अधिकारी अशोक कुमार सिंह के बताया कि इस बार ज्यादा से ज्यादा मतदान करवाने पर बल दिया जा रहा है जिससे कम से कम 80 प्रतिशत मतदान प्रतिशत जिले में हासिल किया जा सके, स्वीप प्लान के जरिये ज्यादा से ज्यादा मतदान के लिए मतदाताओं को प्रेरित किया जायेगा, पहली बार फोटो युक्त मतपर्ची का उपयोग किया जायेगा जिले के मतदाताओं को पर्ची बाँटने का काम प्रत्येक मतदान केन्द्र के बीएलओ को दिया गया है, घर घर जाकर पर्ची पहुँचाने का कार्य शुरू किया जा चुका है, इस लिस्ट का एक सेट प्रत्येक मतदान केन्द्र के बीएलओ के पास मतदान के दिन उपलब्ध रहेगा, पर्ची पाने से वंचित रह गए मतदाता यहा संपर्क कर सकते है . मतदाता इस पर्ची का उपयोग मत देते समय परिचय पत्र के रुप में भी कर सकेंगे. इस बार मतदान केंद्रों से 100 मीटर की दूरी पर बीएलओ बैठेंगे जो मतदाता की मदद कर सकेंगे, ऐसे में राजनैतिक दलों के स्टालो की कोई खास जरूरत नही रह जाती उनके लिए 200 मीटर की दूरी मतदान केंद्रों से निर्धारित की गई है हालाँकि बाद में आयोग से निर्देश आने यह निर्देश बदला भी जा सकता है. आगे उन्होंने बताया कि ऐसी जगह जहा मतदाताओं को मतदान न करने प्रभावित किया जा सकता है उन स्थानों पर सीसीटीवीं कैमरे की मदद ली जायेगी. कुल मिलाकर निर्वाचन आयोग के निर्देशों के चलते यह चुनाव पीछे हो चुके चुनावों से सख्त चुनाव माना जा रहा है और यह सही भी लगता है . प्रत्याशियों ओर दलों के नेताओं को हर कदम फूँक फूँक कर रखना पढ़ रहा है ओर इसमे फाय्दा लोकतंत्र का ही हुआ है. धीरे धीरे चुनाव प्रक्रिया पारदर्शी ओर जवाबदेही से भरपूर हो चली है जिला निर्वाचन अधिकारी के अनुसार आने वाले समय में यह भी होगा जब मतदाता अपने द्वारा दिए गए मत की प्रिंट भी पा सकेगा.
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