कटनी - मुडवारा विधानसभा सीट जीतने के लिए काँग्रेस को अभी और लंबा इंतज़ार करना पड़ सकता है और इस इंतज़ार के लिए काँग्रेस ख़ुद जिम्मेदार जान पढ़ती है, मुडवारा सीट के लिए काँग्रेस ने फिरोज अहमद को मैदान में उतारा है जबकि जानकार गंगाराम कटारिया, विजेन्द्र मिश्र या सुनील मिश्रा में से किसी को प्रत्याशी बनाये जाने की बात मान चल रहे थे, लेकिन काँग्रेस ने अल्पसंख्यक कोटे के चलते फिरोज अहमद को टिकट दिया जिसका विरोध ख़ुद काँग्रेस के लोगो में रहा है यहां तक कि अल्पसंख्यक वर्ग के किसी दूसरे व्यक्ति को टिकट देने की बात भी सामने आई थी लेकिन काँग्रेस ने सभी संभावनाओं को दरकिनार कर फिरोज अहमद को ही टिकट देने का मन बना लिया था, हो सकता है काँग्रेस इस सीट से अल्पसंख्यक वर्ग को टिकट देकर आस पास की विधानसभा सीटों पर इस वर्ग से बढ़त बनाना चाहती हो, पिछली दो बार से भाजपा मुडवारा सीट जीतती आ रही है इसके बावजूद किसी सक्रिय चेहरे को सामने न करना और सिर्फ़ अल्पसंख्यक कोटे का दाँव चलना यही कह रहा है कि काँग्रेस का निशाना यह सीट पाना नही बल्कि अन्य सीटों पर अल्पसंख्यक वर्ग से वोटो की बढ़त बनाना है
संजय पाठक की नही चली
मुडवारा सीट से टिकट पाने काँग्रेस अध्यक्ष करन सिंह चौहान भी लालायित थे और ऐसा माना जा रहा था कि इस सीट पर संजय पाठक अपने समर्थक नेताओं में से किसी को प्रत्याशी बनवा सकते है लेकिन काँग्रेस ने एकमात्र फिरोज अहमद का नाम ही शुरू से ही फाइनल कर रखा था, संजय पाठक समर्थक काँग्रेस अध्यक्ष करन सिंह चौहान, नगर निगम अध्यक्ष वेंकट खंडेलवाल और पार्षद पति अरुण कनौजिया भोपाल जाकर फिरोज अहमद को टिकट न दिए जाने की वकालत भी कर आए थे. काँग्रेस से जुड़े कुछ सिंधी समाज के लोग भी ग्रामीण काँग्रेस अध्यक्ष गंगाराम कटारिया को टिकट दिए जाने की माँग संजय पाठक के बंगले जाकर कर आए थे, उन्हें आश्वासन मिला कि ऊपर यह बात कही जायेगी लेकिन काँग्रेस ने संजय पाठक की किसी बात पर ही तवज्जो नही दी, संजय पाठक अपने दम पर सिर्फ़ अपने लिए ही विजयराघवगढ़ सीट से टिकट ला पाये है जहां इस बार उनकी स्थिति भी काँटे की टक्कर की बताई जा रही है
इस बार भी कांग्रेसी ही काँग्रेस को निपटा देंगे
काँग्रेस से जुड़े सिंधी समाज के कुछ लोग गंगाराम कटारिया को टिकट दिलाये जाने के लिए संजय पाठक के पास गए थे, इसे लेकर समाज के लोगो में यह चर्चा होती रही कि ये लोग वाकई में गंभीर होते तो कम से कम भोपाल जाकर वरिष्ठ काँग्रेस नेताओं के समक्ष यह माँग जोरदार ढंग से करते. समाज के ही लोग इसे अनमने ढंग से की गई सिर्फ़ औपचारिकता भर मानते है. इस बार भी टिकट न मिलने से दुखी गंगाराम कटारिया काँग्रेस प्रत्याशी के विरोध में अपने ग्रामीण अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे चुके है, संजय पाठक के बाकी समर्थकों की भी यही स्थिति है इसलिए काँग्रेस फिर इस बार उसी स्थिति में खड़ी दिखाई दे रही है जहां विरोधी पार्टियों से ज्यादा कांग्रेसी ही काँग्रेस को निपटाने लामबंद होते दिख रहे है
भाजपा में भी फूट पड़ गई
पिछली बार 30 हजार से अधिक वोटों से जीतने वाले गिरिराज किशोर राजू पोद्दर को इस बार टिकट देने के नाम पर भाजपा के हाथ पाँव फूल रहे थे, कटनी विकास प्राधिकरण अध्यक्ष ध्रुव प्रताप सिंह को टिकट देना तो आत्मघाती कदम सिद्ध होता ऐसे में भाजपा को सिर्फ़ पूर्व महापौर रहे संदीप जायसवाल ही ऐसा चेहरा नजर आया जो यह सीट बचा सकता था, संदीप जायसवाल एक सक्रिय और लोकप्रिय नेता के रुप में भी अपनी पहचान बना चुके थे लेकिन भाजपा वाले अब इनका विरोध कर रहे है, भाजपा नेता चमनलाल आनंद तो अब निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में चुनावी मैदान में उतर चुके है
संजय पाठक की नही चली
मुडवारा सीट से टिकट पाने काँग्रेस अध्यक्ष करन सिंह चौहान भी लालायित थे और ऐसा माना जा रहा था कि इस सीट पर संजय पाठक अपने समर्थक नेताओं में से किसी को प्रत्याशी बनवा सकते है लेकिन काँग्रेस ने एकमात्र फिरोज अहमद का नाम ही शुरू से ही फाइनल कर रखा था, संजय पाठक समर्थक काँग्रेस अध्यक्ष करन सिंह चौहान, नगर निगम अध्यक्ष वेंकट खंडेलवाल और पार्षद पति अरुण कनौजिया भोपाल जाकर फिरोज अहमद को टिकट न दिए जाने की वकालत भी कर आए थे. काँग्रेस से जुड़े कुछ सिंधी समाज के लोग भी ग्रामीण काँग्रेस अध्यक्ष गंगाराम कटारिया को टिकट दिए जाने की माँग संजय पाठक के बंगले जाकर कर आए थे, उन्हें आश्वासन मिला कि ऊपर यह बात कही जायेगी लेकिन काँग्रेस ने संजय पाठक की किसी बात पर ही तवज्जो नही दी, संजय पाठक अपने दम पर सिर्फ़ अपने लिए ही विजयराघवगढ़ सीट से टिकट ला पाये है जहां इस बार उनकी स्थिति भी काँटे की टक्कर की बताई जा रही है
इस बार भी कांग्रेसी ही काँग्रेस को निपटा देंगे
काँग्रेस से जुड़े सिंधी समाज के कुछ लोग गंगाराम कटारिया को टिकट दिलाये जाने के लिए संजय पाठक के पास गए थे, इसे लेकर समाज के लोगो में यह चर्चा होती रही कि ये लोग वाकई में गंभीर होते तो कम से कम भोपाल जाकर वरिष्ठ काँग्रेस नेताओं के समक्ष यह माँग जोरदार ढंग से करते. समाज के ही लोग इसे अनमने ढंग से की गई सिर्फ़ औपचारिकता भर मानते है. इस बार भी टिकट न मिलने से दुखी गंगाराम कटारिया काँग्रेस प्रत्याशी के विरोध में अपने ग्रामीण अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे चुके है, संजय पाठक के बाकी समर्थकों की भी यही स्थिति है इसलिए काँग्रेस फिर इस बार उसी स्थिति में खड़ी दिखाई दे रही है जहां विरोधी पार्टियों से ज्यादा कांग्रेसी ही काँग्रेस को निपटाने लामबंद होते दिख रहे है
भाजपा में भी फूट पड़ गई
पिछली बार 30 हजार से अधिक वोटों से जीतने वाले गिरिराज किशोर राजू पोद्दर को इस बार टिकट देने के नाम पर भाजपा के हाथ पाँव फूल रहे थे, कटनी विकास प्राधिकरण अध्यक्ष ध्रुव प्रताप सिंह को टिकट देना तो आत्मघाती कदम सिद्ध होता ऐसे में भाजपा को सिर्फ़ पूर्व महापौर रहे संदीप जायसवाल ही ऐसा चेहरा नजर आया जो यह सीट बचा सकता था, संदीप जायसवाल एक सक्रिय और लोकप्रिय नेता के रुप में भी अपनी पहचान बना चुके थे लेकिन भाजपा वाले अब इनका विरोध कर रहे है, भाजपा नेता चमनलाल आनंद तो अब निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में चुनावी मैदान में उतर चुके है
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