कटनी - माधव नगर की 399 एकड़ पुनर्वास भूमि की वर्षो से लंबित समस्याओ को सुलझाने की दिशा में अब एक ठोस सकारात्मक पहल की शुरुआत जिला प्रशासन करना चाहता है , जिला कलेक्टर अशोक कुमार सिंह ने इसे लेकर अपेक्षित सहयोग भी माँगा है .इससे पहले 28 अगस्त को पुनर्वास तहसीलदार महेंद्र गुप्ता के खिलाफ सभी स्थानीय मिलर्स कटनी विकास प्राधिकरण उपाध्यक्ष पीताम्बर टोपनानी के नेतृत्व में विरोध करने पहुंचे .मिलर्स इस बात से नाराज थे कि पुनर्वास तहसीलदार महेंद्र गुप्ता द्वारा उनपर 12 करोड़ रुपये जुर्माना लगाये जाने की बात समाचार पत्रों के माध्यम से कही जा रही थी इसके साथ ही जुर्माना अदा न होने पर 29 अगस्त से कार्यवाही करने की बात भी उन्हें समाचार पत्रों से ही पता चली थी जबकि इस सम्बन्ध में उन्हें किसी भी प्रकार का कोई नोटिस ही नहीं मिला था . देखा जाए तो पुनर्वास तहसीलदार का विरोध प्रदर्शित करने आयोजित हुई इस बैठक से एक ठोस निष्कर्ष निकलकर भी सामने आया है , जिला प्रशासन ने अपनी मंशा साफ़ साफ़ जाहिर कर दी है कि पुनर्वास भूमि का समाधान वह किस तरह करना चाहता है .हालाकि जिला कलेक्टर कलेक्टर द्वारा पुनर्वास समस्या की एक श्रेणी का
का जो निदान बताया जा रहा है वह किसी के गले नहीं उतर रहा है क्योकि वर्षो से पुनर्वास समस्या को सुलझाने की दिशा में शासन प्रशासन ने ही कोई कदम नहीं उठाया है ऐसे में आज समस्या सुलझाने के नाम पर बाजार मूल्य निर्धारित कर नियमितीकरण किया जायेगा तो यह उन तमाम लोगो की भावनाओ के साथ कुठराघात होगा जो यहाँ की पुनर्वास भूमि पर विस्थापित होने के बाद से ही काबिज है
वैसे भी यहाँ की 399 एकड़ भूमि पूर्व से ही विस्थापितों के लिए आरक्षित की गयी थी और इसका विस्थापितों के हक़ में इंतजाम करना पुनर्वास विभाग का ही काम था इसलिए ही इस विभाग का गठन वर्ष 1964 में किया गया था . आज इस पुनर्वास भूमि पर विस्थापित परिवार और उनके बढे हुए परिवार ही बसे है और बिना शासन की मदद लिए बिना हजारो रोजगारो का सर्जन करने के साथ ही प्रदेश स्तरीय उद्योग अपनी मेहनत से स्थापित किये है .प्रशासन को इस समस्या का हल निकालते हुए इस बात का ध्यान अवश्य ही रखना पड़ेगा कि यहाँ कोई आज आकर नहीं बसा है और उसके बसने का इंतजाम पुनर्वास विभाग ही ठीक से नहीं कर पाया है इसलिए नियमितीकरण की प्रक्रिया पूर्व निर्धारित निति के अनुसार ही की जानी चाहिए वर्षो पूर्व बसे विस्थापित परिवारों को आज के बाजार मूल्य से भूमि देना न्यायसंगत नहीं रहेगा
ju " जिला कलेक्टर अशोक कुमार सिंह के शब्दों में "
" जो बात पिछले 18 साल से रुकी हुई है उसे अब आगे बढाया जाये कैसे बढाया जाये ? क्या किया जायेगा , अब इसे देखते है . अभी तक यह हो रहा है कि सबके ऊपर एक तलवार लटक रही है इसलिए मै चाहता हूँ कि अब पुनर्वास भूमि को लेकर निर्णय हो जाये , मै चाहता हूँ कोई पहल आप लोगों की तरफ से भी हो और हम तो खैर करेंगे ही . पुनर्वास भूमि के सम्बन्ध मे मेरी भोपाल बात चल रही है कि इस पर कोई स्पष्ट दिशानिर्देश मिल जाये . हम चाहते है कि वर्ष 1974 से लेकर 1994 तक 30 वर्ष की अवधि के लिए जिन्हें पट्टे जारी हुए थे उन्हें पहली श्रेणी में लेकर नियमित कर दिया जाये .वर्ष 1994 - 1995 के दौरान कुछ कारण उत्पन्न हो गये थे जिसकी वजह से पिछले 18 वर्ष से यह पूरी प्रक्रिया ही बंद पढ़ी है इसलिए अब इस पर नए सिरे से विचार ही हो सकता है . इसके बाद बात आती है वर्तमान में चल रहे मामलो कि तो मेरी भी मंशा है कि इस तीसरी श्रेणी का नियमितीकरण किया जाये , जब नियमितीकरण की बात आएगी तो हम वही प्रस्ताव भेजेंगे जो आज का मार्केट रेट है , फिर आप लोगों को भोपाल स्तर पर उसको कम करवाना पड़ेगा . अगर माधव नगर में आज का मार्केट रेट एक हजार रुपये का है तो हमारा प्रस्ताव एक हजार का ही रहेगा , साफ़ बता रहा हूँ . लेकिन यह प्रदेश केबिनेट के ऊपर है की उसे पचास पैसे कर से , एक रुपया कर दे या डेढ़ रुपया कर दे . मैने आपकी बात नोट कर ली है लेकिन उसका समाधान क्या हो सकता है यह में नहीं कह सकता वैसे गौर मै आपके द्वारा दिए गये एक एक बिंदु पर करूँगा . मेरी खुद की भी निजी इक्षा है कि किसी तरह से नियमितीकरण हो जाये और जब तक नियमितीकरण नहीं होगा तब तक जो तलवार है वो लटकती रहेगी
का जो निदान बताया जा रहा है वह किसी के गले नहीं उतर रहा है क्योकि वर्षो से पुनर्वास समस्या को सुलझाने की दिशा में शासन प्रशासन ने ही कोई कदम नहीं उठाया है ऐसे में आज समस्या सुलझाने के नाम पर बाजार मूल्य निर्धारित कर नियमितीकरण किया जायेगा तो यह उन तमाम लोगो की भावनाओ के साथ कुठराघात होगा जो यहाँ की पुनर्वास भूमि पर विस्थापित होने के बाद से ही काबिज है
वैसे भी यहाँ की 399 एकड़ भूमि पूर्व से ही विस्थापितों के लिए आरक्षित की गयी थी और इसका विस्थापितों के हक़ में इंतजाम करना पुनर्वास विभाग का ही काम था इसलिए ही इस विभाग का गठन वर्ष 1964 में किया गया था . आज इस पुनर्वास भूमि पर विस्थापित परिवार और उनके बढे हुए परिवार ही बसे है और बिना शासन की मदद लिए बिना हजारो रोजगारो का सर्जन करने के साथ ही प्रदेश स्तरीय उद्योग अपनी मेहनत से स्थापित किये है .प्रशासन को इस समस्या का हल निकालते हुए इस बात का ध्यान अवश्य ही रखना पड़ेगा कि यहाँ कोई आज आकर नहीं बसा है और उसके बसने का इंतजाम पुनर्वास विभाग ही ठीक से नहीं कर पाया है इसलिए नियमितीकरण की प्रक्रिया पूर्व निर्धारित निति के अनुसार ही की जानी चाहिए वर्षो पूर्व बसे विस्थापित परिवारों को आज के बाजार मूल्य से भूमि देना न्यायसंगत नहीं रहेगा
ju " जिला कलेक्टर अशोक कुमार सिंह के शब्दों में "
" जो बात पिछले 18 साल से रुकी हुई है उसे अब आगे बढाया जाये कैसे बढाया जाये ? क्या किया जायेगा , अब इसे देखते है . अभी तक यह हो रहा है कि सबके ऊपर एक तलवार लटक रही है इसलिए मै चाहता हूँ कि अब पुनर्वास भूमि को लेकर निर्णय हो जाये , मै चाहता हूँ कोई पहल आप लोगों की तरफ से भी हो और हम तो खैर करेंगे ही . पुनर्वास भूमि के सम्बन्ध मे मेरी भोपाल बात चल रही है कि इस पर कोई स्पष्ट दिशानिर्देश मिल जाये . हम चाहते है कि वर्ष 1974 से लेकर 1994 तक 30 वर्ष की अवधि के लिए जिन्हें पट्टे जारी हुए थे उन्हें पहली श्रेणी में लेकर नियमित कर दिया जाये .वर्ष 1994 - 1995 के दौरान कुछ कारण उत्पन्न हो गये थे जिसकी वजह से पिछले 18 वर्ष से यह पूरी प्रक्रिया ही बंद पढ़ी है इसलिए अब इस पर नए सिरे से विचार ही हो सकता है . इसके बाद बात आती है वर्तमान में चल रहे मामलो कि तो मेरी भी मंशा है कि इस तीसरी श्रेणी का नियमितीकरण किया जाये , जब नियमितीकरण की बात आएगी तो हम वही प्रस्ताव भेजेंगे जो आज का मार्केट रेट है , फिर आप लोगों को भोपाल स्तर पर उसको कम करवाना पड़ेगा . अगर माधव नगर में आज का मार्केट रेट एक हजार रुपये का है तो हमारा प्रस्ताव एक हजार का ही रहेगा , साफ़ बता रहा हूँ . लेकिन यह प्रदेश केबिनेट के ऊपर है की उसे पचास पैसे कर से , एक रुपया कर दे या डेढ़ रुपया कर दे . मैने आपकी बात नोट कर ली है लेकिन उसका समाधान क्या हो सकता है यह में नहीं कह सकता वैसे गौर मै आपके द्वारा दिए गये एक एक बिंदु पर करूँगा . मेरी खुद की भी निजी इक्षा है कि किसी तरह से नियमितीकरण हो जाये और जब तक नियमितीकरण नहीं होगा तब तक जो तलवार है वो लटकती रहेगी
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