नगर निगम कटनी द्वारा विकास कार्यो के नाम पर खर्च की जाने वाली 80 प्रतिशत से भी ज्यादा राशि भ्रस्टाचार की भेंट चढ़ रही है , महापौर की अध्यक्षता में आयोजित होने वाली मेयर इन काउन्सिल की बैठको में लाखो करोडो के कार्य के प्रस्ताव कागजो में मंजूर होकर ज्यादातर कागजो में ही तैयार हो जा रहे है ,भ्रष्ट अधिकारी अपनी स्वीकृति लगाकर लाखो रुपये भ्रष्ट ठेकदारो की जेब में पहुँचाने का रास्ता बनाने का काम कर रहे है . इतना सब होने के बावजूद क्या इस बात पर यकीन किया जा सकता है कि परिषद् इस भ्रस्टाचार से वाकई में अंजान है ? क्या आम आदमी से कर इसलिए ही वसूला जाता है कि इसे जैसे तैसे कर भ्रस्टाचार कि भेंट चढ़ाया जाये ? आम जनता की गाढ़ी कमाई से वसूले गए कर को विकास कार्यो के नाम नगर निगम के भ्रष्ट ठेकेदार और भ्रष्ट अधिकारी सब मिलकर डकार रहे है और मामले उजागर होने के बावजूद जिम्मेदार जनों द्वारा रहस्मय चुप्पी साधना भी कई सवालो को जन्म दे रही है . इन्ही कारणों से तो भ्रष्टाचारियों की हिम्मत बढती है और उनके ऐसे कारनामे सुनियोजित तरीके से निर्विघ्न संपन हो जाते है . माधव नगर के संत कंवरराम वार्ड स्थित तालाब के गहरीकरण और सौन्दरीयकरण के नाम पर 20 लाख रुपये का एक घोटाला सूचना के अधिकार के उपयोग से सामने आया है , घोटाले की शिकायत भी की जा चुकी है लेकिन कार्यवाही न होने से कई शंकायें उठ खड़ी हुई है
कटनी - (प्रबल सृष्टि विशेष ) मेयर इन कौंसिल ने 8 जून 2009 को संत कंवरराम वार्ड स्थित तालाब के गहरीकरण और सौन्दरीयकरण का प्रस्ताव पास किया , 27 जून 2009 को निविदा आमंत्रित की गयी , 7 नवम्बर 2009 को ठेकेदार एस एन खम्परिया के साथ कार्य संपन्न कराने एग्रीमेंट भी करा लिया गया , ठेका 20 लाख 61 हजार रपये की राशि के लिए जारी हुआ था, लेकिन 16 अक्तूबर 2009 को नगर निगम की लोक निर्माण विभाग की निविदा समिति की बैठक में समिति ने अज्ञात तथ्यों का उल्लेख करते हुए ठेकेदार को 10 प्रतिशत अधिक दर से ठेका देने की सर्वसमिति से अनुशंसा भी कर दी गई , जिसके बाद लागत 22 लाख 67 हजार हो गई , कथित ठेका कागजो में पूरा हो गया और इसका कुल भुगतान 23,38,175 रुपये का किया गया . ठेकेदार को तालाब का गहरीकरण , पिंचिंग कार्य , तालाब के तीनो तरफ पैदल मार्ग का निर्माण , घाट निर्माण , विद्युतीकरण , सौन्दरीयकरण, वृक्षारोपण कार्य करना था लेकिन मात्र कुछ ट्रेक्टर कुछ दिन चलाये गए और बाद में बरसात का बहाना बना कर कार्य सिर्फ कागजो में ही संपन्न हो गया . 14 जून 2010 को ठेकेदार ने बिल बनाया और 1 जुलाई को इसे प्रस्तुत किया गया ,जिस पर उपयंत्री को तकनीकी प्रतिवेदन प्रस्तुत करने कहा गया , उपयंत्री ने लिखित में सब कार्य पूर्ण होना बताकर ठेकेदार को राशि पाने में मदद की , जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों , अधिकारियो सहित आम जनता खुद आकर इस तालाब का अवलोकन करे और कागजो में खर्च हुई राशि की जमीनी हकीकत देखे कि नगर निगम द्वारा खर्च की जाने वाली रकम यहाँ कैसे लूटी गई है
कटनी - (प्रबल सृष्टि विशेष ) मेयर इन कौंसिल ने 8 जून 2009 को संत कंवरराम वार्ड स्थित तालाब के गहरीकरण और सौन्दरीयकरण का प्रस्ताव पास किया , 27 जून 2009 को निविदा आमंत्रित की गयी , 7 नवम्बर 2009 को ठेकेदार एस एन खम्परिया के साथ कार्य संपन्न कराने एग्रीमेंट भी करा लिया गया , ठेका 20 लाख 61 हजार रपये की राशि के लिए जारी हुआ था, लेकिन 16 अक्तूबर 2009 को नगर निगम की लोक निर्माण विभाग की निविदा समिति की बैठक में समिति ने अज्ञात तथ्यों का उल्लेख करते हुए ठेकेदार को 10 प्रतिशत अधिक दर से ठेका देने की सर्वसमिति से अनुशंसा भी कर दी गई , जिसके बाद लागत 22 लाख 67 हजार हो गई , कथित ठेका कागजो में पूरा हो गया और इसका कुल भुगतान 23,38,175 रुपये का किया गया . ठेकेदार को तालाब का गहरीकरण , पिंचिंग कार्य , तालाब के तीनो तरफ पैदल मार्ग का निर्माण , घाट निर्माण , विद्युतीकरण , सौन्दरीयकरण, वृक्षारोपण कार्य करना था लेकिन मात्र कुछ ट्रेक्टर कुछ दिन चलाये गए और बाद में बरसात का बहाना बना कर कार्य सिर्फ कागजो में ही संपन्न हो गया . 14 जून 2010 को ठेकेदार ने बिल बनाया और 1 जुलाई को इसे प्रस्तुत किया गया ,जिस पर उपयंत्री को तकनीकी प्रतिवेदन प्रस्तुत करने कहा गया , उपयंत्री ने लिखित में सब कार्य पूर्ण होना बताकर ठेकेदार को राशि पाने में मदद की , जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों , अधिकारियो सहित आम जनता खुद आकर इस तालाब का अवलोकन करे और कागजो में खर्च हुई राशि की जमीनी हकीकत देखे कि नगर निगम द्वारा खर्च की जाने वाली रकम यहाँ कैसे लूटी गई है
सूचना के अधिकार से उजागर हुआ है मामला
संत कंवरराम वार्ड के समाजसेवी पंजूमल माटानी ने सूचना के अधिकार का प्रयोग कर नगर निगम से दस्तावेज हासिल किये है जिसमे तमाम वह दस्तावेज है जिससे साबित होता है की भ्रष्ट ठेकेदार और भ्रष्ट अधिकारियो की मिलीभगत से करीब 20 लाख रुपये की लूट हुई है . उस रकम की जिसे आम जनता ने अपने खून पसीने से कमा कर निगम को नगर का विकास करने के लिए दी थी
वार्ड के नागरिक है आक्रोशित
एक तरफ तो पूरे वार्ड में गंदगी , कचरे से भरी नालियां , अँधेरी गलियाँ आदि तरह तरह की समस्याओ के अम्बार से नागरिक परेशान है वही दूसरी ओर लाखो रुपये भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहे है , यह सरासर नागरिको के साथ किये जाने वाले विश्वासघात की श्रेणी प्रतीत होती है , बड़े ही ताज्जुब की बात तो यह भी है कि क्या वार्ड के पार्षद को यह सब पता ही नहीं था ? वैसे संत कंवरराम वार्ड की पार्षद श्रीमती शोभा देवी थावानी के पति ही वार्ड की पार्षदी करते आये है , पार्षद पति देवी थावानी कहते है कि यह पूर्व पार्षद वर्तमान में जिला कांग्रेस कमेटी ग्रामीण अध्यक्ष गंगाराम कटारिया के कार्य काल के समय प्रस्तावित हुआ था, इसलिए उन्होंने इसमें दिलचस्पी नहीं दिखाई, हालाकि उनका यह भी कहना है कि उन्होंने ठेकेदार गुल्लू खम्परिया , निगम अध्यक्ष वेंकट खंडेलवाल से तालाब के विषय में बात की थी लेकिन उन्होंने इसे गंभीरता से नहीं लिया . पिछले रविवार 23 सितम्बर की दोपहर को तालाब के असल कार्य का निरिक्षण करने आये एक पत्रकार दल के समक्ष वार्ड के कई नागरिको ने तालाब के नाम पर हुए भ्रष्टाचार पर अपना आक्रोश भी प्रकट किया ,वार्ड के वरिष्ठ नागरिक तथा कांग्रेस के जिम्मेदार नेता गंगाराम कटारिया से इस बाबत पत्रकारों ने जब उनके निवास पर जाकर सवाल किये तो उन्होंने कहा कि कार्य का प्राकलन 24 लाख 61 हजार का हुआ था , कितना खर्च हुआ है उन्हें नहीं मालूम ,कार्य जब बंद हुआ था तब ठेकेदार ने कहा था कि काम बरसात बाद शुरू होगा , उन्होंने यह कहा कि उनपर जिला कांग्रेस की जवाबदारी है इसलिए वे निगम की राजनीती में कम दिलचस्पी लेने की कोशिश करते है
दोषियों पर हो कार्यवाही
वार्ड के नागरिको की मांग है कि दोषियों पर कार्यवाही की जाये और ठेकेदार एस एन खम्परिया को ब्लेक लिस्टेड किया जाये , इस एक मामले के उजागर होने से यह आशंका बलवती हो उठी है कि ठेकेदार ने अन्य सभी ठेकों में भी गंभीर अनियमिताएं की होंगी . जिला प्रशासन , निगम प्रशासन अगर इस पर कार्यवाही करने से बचता है तो इस मामले की शिकायत नागरिक गण लोकायुक्त में करेंगे जिससे जिन भ्रष्ट जनों ने आम जनता का हक़ डकार है उनको सजा मिल सके तब प्रशासन कार्यवाही न करने की जवाबदेही से बच नहीं सकेगा
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