Interviewee : प्रशांत भूषण
Interviewer : आईएएनएस
Interview Date : 21,August,2011
नई दिल्ली ! हजारों लोग इन दिनों प्रतिदिन रामलीला मैदान पहुंच रहे हैं। उनकी उम्मीदें बस एक ही शख्स पर टिकी हुई हैं और वह हैं अन्ना हजारे।
लेकिन टीम अन्ना के सदस्य प्रशांत भूषण महसूस करते हैं कि भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन को 'वैयक्तीकरण' से बचाया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि सामाजिक संगठन के कार्यकर्ता अपने जन लोकपाल विधेयक पर पड़ी सिलवटों को मिटाना चाह रहे हैं।
भूषण ने आईएएनएस से खास बातचीत में कहा, ''मैं व्यक्तित्व पर अधिक जोर देने के पक्ष में नहीं हूं। अन्ना हजारे के नाम पर आंदोलनके व्यक्तित्व की उपासना से बचना चाहिए।''
जन लोकपाल विधेयक का मसौदा तैयार करने वाली समिति में शामिल वकील ने कहा, ''लोगों का ध्यान अन्ना पर केंद्रित है, क्योंकि राजनीतिक नेतृत्व उनकी जरूरतों को पूरा करने में नाकाम रहा है। राजनीतिक वर्ग ने अपनी भूमिका खो दी है। राजनेताओं पर से लोगों का विश्वास पूरी तरह उठ चुक है।''
इसी वक्त उन्होंने कहा, ''हमने इतने भारी समर्थन की उम्मीद नहीं की थी। हम जानते थे कि इस पर विचार किया जाएगा, लेकिन इस तरह का मंजर सामने आएगा, यह नहीं सोचा था। लोग महसूस करते हैं कि अन्ना हजारे सच्चे मन से आंदोलन का अलख जगाने वाले व्यक्ति हैं।''
रामलीला मैदान के दृश्य देखकर लोग घरों से निकल पड़ते हैं।
स्कूली छात्रों से लेकर वरिष्ठ नागरिक तक, सभी तिरंगा लहराते हुए और अन्ना हजारे की तस्वीर वाले बैनर लिए हुए रामलीला मैदान में पहुंच रहे हैं। समूचे मैदान में 'मैं भी अन्ना तू भी अन्ना अब तो सारा देश है अन्ना' के नारे से गूंज रहा है।
16 अगस्त को जेपी पार्क में अनशन के लिए जाने से पहले दिल्ली पुलिस ने जब 74 वर्षीय अन्ना हजारे को हिरासत में ले लिया था, तब हजारों समर्थकों को गिरफ्तार कर छत्रसाल स्टेडियम में रखा गया था।
रिहाई के बाद तिहाड़ जेल से लेकर रामलीला मैदान तक अन्ना हजारे के आगे और पीछे जुटी भारी भीड़ का जिक्र करते हुए भूषण ने कहा कि 'अन्ना की लहर' ने युवाओं की नब्ज पकड़ी जो 'राजनेताओं से तंग आ चुके हैं'।
इस आरोप का खंडन करते हुए कि अन्ना का आंदोलन सरकार के साथ 'ब्लैकमेल' है, भूषण ने कहा, ''यह कहना गलत है कि हम अपनी राह या राजमार्ग को अखाड़ा बना रहे हैं।''
सामाजिक संगठन के आंदोलन का हिस्सा बने वयोवृध्द अधिवक्ता और पूर्व विधि मंत्री शांति भूषण के बेटे प्रशांत भूषण ने कहा, ''हमने जो राह अपनाई है उसकी कुछ वर्ग द्वारा की जा रही आलोचना के प्रति हम सचेत हैं, लेकिन यह इस पर निर्भर करता है कि अनशन को आप किस रूप में देखते हैं। जिस वजह को लेकर हम अनशन कर रहे हैं, वह न्यायसंगत है। हम सरकार के कपाल पर बंदूक नहीं रख रहे हैं, बल्कि कह रहे हैं कि हमारी मांगें पूरी करो।''
भूषण ने कहा, ''यदि हमारे विधेयक में खोट है तो वह दूर होगा, हम ऐसा करेंगे। स्थायी समिति को जन लोकपाल संसद में पेश करना चाहिए।''
उन्होंने कहा, ''अन्ना हजारे को सीधे तौर पर स्थायी समिति में बुलाना अब व्यवहारपूर्ण विकल्प नहीं है। हमें देखना है जन लोकपाल विधेयक के सम्बंध में क्या निर्णय लिया जाता है।''
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