मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने राज्य सरकार द्वारा दी जाने वाली खेल पुरस्कार राशि को दो-गुना करने की घोषणा की है। इस घोषणा से उत्कृष्ट खेल प्रशिक्षकों को दिए जाने वाले विश्वामित्र सम्मान, लाइफ टाइम एचीव्हमेंट सम्मान, उत्कृष्ट खिलाड़ियों को दिए जाने वाले विक्रम सम्मान की राशि 50 हजार से बढ़ाकर एक लाख रूपये और 19 वर्ष से कम आयु वाली खेल प्रतिभाओं को दिये जाने वाले एकलव्य सम्मान की राशि 25 हजार से बढ़कर 50 हजार रूपये हो जायेगी। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने पुन: दोहराया है कि भारत रत्न सम्मान सर्वप्रथम हॉकी के जादूगर स्व. मेजर ध्यानचंद को मिलना चाहिये।
श्री चौहान आज राष्ट्रीय खेल दिवस के अवसर पर स्थानीय तात्या टोपे राज्य खेल परिसर के मार्शल आर्टस अकादमी हाल में खेल अलंकरण समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित 15 खिलाड़ियों को एकलव्य सम्मान, 9 को विक्रम सम्मान, 3 प्रशिक्षकों को विश्वामित्र सम्मान से विभूषित किया। उन्होंने लाइफ टाइम एचीव्हमेंट सम्मान खेल प्रशिक्षक स्वर्गीय डा. शफकत मोहम्मद खान के पुत्रों फ़राज और सिकंदर मोहम्मद खान को प्रदान किया। इस सम्मान से स्व. श्री खान को मरणोपरांत विभूषित किया गया है। कार्यक्रम के प्रारम्भ में मुख्यमंत्री श्री चौहान ने हॉकी खिलाड़ी स्वर्गीय ध्यानचंद के जन्म-दिवस पर उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर, भावभीनी श्रद्धांजलि दी।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि खेलों से दुनिया में देश का गौरव बढ़ता है। उन्होंने कहा कि खेलों के लिए बुनियादी सुविधाओं में कमी नहीं होगी। सरकार द्वारा विगत वर्षों में खेलों के बजट में अभूतपूर्व वृद्धि की है। आवश्यकता होने पर इसे और बढ़ाया जायेगा।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि वर्तमान समय में क्रिकेट खेल के प्रति बहुत अधिक आकर्षण है। पर्याप्त साधन और संसाधन मौजूद है। प्रदेश में अन्य खेलों को बढ़ावा देने के लिए खेल अकादमियों की स्थापना की गई है। इन अकादमियों को और अधिक बेहतर बनाने के लिए संचालन संबंधी जिन व्यवस्थाओं की आवश्यकता होगी, उपलब्ध करवाई जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में विगत वर्षों के दौरान खेल विभाग द्वारा सराहनीय कार्य और उल्लेखनीय उपलब्धियां अर्जित की हैं। आगे भी उपलब्धियाँ प्राप्त हों, इसे चुनौती के रूप में लिया जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने हॉकी खिलाड़ी स्वर्गीय ध्यानचंद का स्मरण करते हुए कहा कि उनकी खेल प्रतिभा का कायल होकर ही हिटलर ने उन्हें हॉकी का जादूगर कहा था। उनके जन्म-दिवस को खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस अद्भुत खिलाड़ी के सम्मान के लिए आवश्यक है कि भारत रत्न प्राप्त करने वाले पहले खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद ही हों। उन्होंने कहा कि सचिन तेन्दुलकर को भी भारत रत्न मिलना चाहिए।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि खेल स्पर्धा नहीं भावना है। विकास और प्रगति के वर्तमान युग में जीवन में स्पर्धा निरंतर बढ़ रही हैं जीवन जटिल हो गया है, जिन्दगी यदि खेल हो जाए तो जिन्दगी का रंग ही बदल जाता है। उन्होंने कहा कि खेलों में राजनीति को नहीं, राजनीति में खेलों को लाना चाहिए। उन्होंने कहा कि खेलों को राजनीति से मुक्त रखा जाना चाहिए। राजनीति दूर रह कर खेलों को बढ़ावा दे, खेलों के लिए यही अच्छा होगा।
पर्यटन, खेल एवं युवा कल्याण मंत्री श्री तुकोजीराव पवार ने कहा कि खिलाड़ियों को मिलने वाले पुरस्कार उनके प्रयासों का उत्साहवर्धन है। अभी उन्हें निरंतर अभ्यास कर, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त करने हैं। उन्होंने खिलाड़ियों, प्रशिक्षकों को उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएँ देते हुए राज्य सरकार द्वारा खेलों के प्रोत्साहन के लिए किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी।
कार्यक्रम के अध्यक्ष सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री श्री कैलाश जोशी ने कहा कि खिलाड़ियों को बेहतर प्रदर्शन के लिए राज्याश्रय होना जरूरी है। देशी रियासतों के राज्याश्रय में अनेक प्रसिद्ध खिलाड़ी हुए। उसके बाद खेलों की गतिविधियाँ औपचारिक हो गई थी। उनके लिए समुचित बजट का भी प्रावधान नहीं होता था। श्री जोशी ने कहा कि पिछले सात वर्षों में प्रदेश में खेलों की स्थिति बदली है। पहले जो 5-6 करोड़ का बजट होता था, वह बढ़कर 100 करोड़ रूपए का हो गया है। इसके परिणाम पदकों के रूप में मिलने लगे हैं।
विशिष्ट अतिथि श्री ओमकार सिंह ने कहा कि मध्यप्रदेश में खेलों के विकास कार्यक्रमों को देखकर उन्हें हार्दिक प्रसन्नता है। उन्होंने कहा कि खेलों के विकास के अत्याधुनिक कार्यक्रम मध्यप्रदेश में चल रहे हैं उन्होंने कहा कि इन प्रयासों के परिणाम शीघ्र ही मिलेंगे, जरूरत इस उत्साह और अभ्यास को बनाए रखने की है।
कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री श्री चौहान ने अंतर्राष्ट्रीय शूटिंग खिलाड़ी श्री ओमकार सिंह का अभिनंदन किया और उनको एक लाख रूपये की राशि और स्मृति-चिन्ह भेंट किया। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने शिखर खेल अंलकरण स्मारिका का विमोचन भी किया।
कार्यक्रम में वित्त मंत्री श्री राघवजी, विधायक सर्वश्री विश्वास सारंग, श्री ध्रुवनारायण सिंह, पुलिस महानिदेशक श्री एस.के. राउत, सचिव खेल एवं युवा कल्याण श्री अशोक शाह, संचालक खेल एवं युवा कल्याण श्री शैलेन्द्र श्रीवास्तव एवं बड़ी संख्या में खिलाड़ी, पालक, खेल प्रशासक और खेल-प्रेमी उपस्थित थे।
श्री चौहान आज राष्ट्रीय खेल दिवस के अवसर पर स्थानीय तात्या टोपे राज्य खेल परिसर के मार्शल आर्टस अकादमी हाल में खेल अलंकरण समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित 15 खिलाड़ियों को एकलव्य सम्मान, 9 को विक्रम सम्मान, 3 प्रशिक्षकों को विश्वामित्र सम्मान से विभूषित किया। उन्होंने लाइफ टाइम एचीव्हमेंट सम्मान खेल प्रशिक्षक स्वर्गीय डा. शफकत मोहम्मद खान के पुत्रों फ़राज और सिकंदर मोहम्मद खान को प्रदान किया। इस सम्मान से स्व. श्री खान को मरणोपरांत विभूषित किया गया है। कार्यक्रम के प्रारम्भ में मुख्यमंत्री श्री चौहान ने हॉकी खिलाड़ी स्वर्गीय ध्यानचंद के जन्म-दिवस पर उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर, भावभीनी श्रद्धांजलि दी।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि खेलों से दुनिया में देश का गौरव बढ़ता है। उन्होंने कहा कि खेलों के लिए बुनियादी सुविधाओं में कमी नहीं होगी। सरकार द्वारा विगत वर्षों में खेलों के बजट में अभूतपूर्व वृद्धि की है। आवश्यकता होने पर इसे और बढ़ाया जायेगा।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि वर्तमान समय में क्रिकेट खेल के प्रति बहुत अधिक आकर्षण है। पर्याप्त साधन और संसाधन मौजूद है। प्रदेश में अन्य खेलों को बढ़ावा देने के लिए खेल अकादमियों की स्थापना की गई है। इन अकादमियों को और अधिक बेहतर बनाने के लिए संचालन संबंधी जिन व्यवस्थाओं की आवश्यकता होगी, उपलब्ध करवाई जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में विगत वर्षों के दौरान खेल विभाग द्वारा सराहनीय कार्य और उल्लेखनीय उपलब्धियां अर्जित की हैं। आगे भी उपलब्धियाँ प्राप्त हों, इसे चुनौती के रूप में लिया जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने हॉकी खिलाड़ी स्वर्गीय ध्यानचंद का स्मरण करते हुए कहा कि उनकी खेल प्रतिभा का कायल होकर ही हिटलर ने उन्हें हॉकी का जादूगर कहा था। उनके जन्म-दिवस को खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस अद्भुत खिलाड़ी के सम्मान के लिए आवश्यक है कि भारत रत्न प्राप्त करने वाले पहले खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद ही हों। उन्होंने कहा कि सचिन तेन्दुलकर को भी भारत रत्न मिलना चाहिए।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि खेल स्पर्धा नहीं भावना है। विकास और प्रगति के वर्तमान युग में जीवन में स्पर्धा निरंतर बढ़ रही हैं जीवन जटिल हो गया है, जिन्दगी यदि खेल हो जाए तो जिन्दगी का रंग ही बदल जाता है। उन्होंने कहा कि खेलों में राजनीति को नहीं, राजनीति में खेलों को लाना चाहिए। उन्होंने कहा कि खेलों को राजनीति से मुक्त रखा जाना चाहिए। राजनीति दूर रह कर खेलों को बढ़ावा दे, खेलों के लिए यही अच्छा होगा।
पर्यटन, खेल एवं युवा कल्याण मंत्री श्री तुकोजीराव पवार ने कहा कि खिलाड़ियों को मिलने वाले पुरस्कार उनके प्रयासों का उत्साहवर्धन है। अभी उन्हें निरंतर अभ्यास कर, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त करने हैं। उन्होंने खिलाड़ियों, प्रशिक्षकों को उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएँ देते हुए राज्य सरकार द्वारा खेलों के प्रोत्साहन के लिए किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी।
कार्यक्रम के अध्यक्ष सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री श्री कैलाश जोशी ने कहा कि खिलाड़ियों को बेहतर प्रदर्शन के लिए राज्याश्रय होना जरूरी है। देशी रियासतों के राज्याश्रय में अनेक प्रसिद्ध खिलाड़ी हुए। उसके बाद खेलों की गतिविधियाँ औपचारिक हो गई थी। उनके लिए समुचित बजट का भी प्रावधान नहीं होता था। श्री जोशी ने कहा कि पिछले सात वर्षों में प्रदेश में खेलों की स्थिति बदली है। पहले जो 5-6 करोड़ का बजट होता था, वह बढ़कर 100 करोड़ रूपए का हो गया है। इसके परिणाम पदकों के रूप में मिलने लगे हैं।
विशिष्ट अतिथि श्री ओमकार सिंह ने कहा कि मध्यप्रदेश में खेलों के विकास कार्यक्रमों को देखकर उन्हें हार्दिक प्रसन्नता है। उन्होंने कहा कि खेलों के विकास के अत्याधुनिक कार्यक्रम मध्यप्रदेश में चल रहे हैं उन्होंने कहा कि इन प्रयासों के परिणाम शीघ्र ही मिलेंगे, जरूरत इस उत्साह और अभ्यास को बनाए रखने की है।
कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री श्री चौहान ने अंतर्राष्ट्रीय शूटिंग खिलाड़ी श्री ओमकार सिंह का अभिनंदन किया और उनको एक लाख रूपये की राशि और स्मृति-चिन्ह भेंट किया। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने शिखर खेल अंलकरण स्मारिका का विमोचन भी किया।
कार्यक्रम में वित्त मंत्री श्री राघवजी, विधायक सर्वश्री विश्वास सारंग, श्री ध्रुवनारायण सिंह, पुलिस महानिदेशक श्री एस.के. राउत, सचिव खेल एवं युवा कल्याण श्री अशोक शाह, संचालक खेल एवं युवा कल्याण श्री शैलेन्द्र श्रीवास्तव एवं बड़ी संख्या में खिलाड़ी, पालक, खेल प्रशासक और खेल-प्रेमी उपस्थित थे।
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