
शहर के चमकते चौराहों , चमकती सडको पर शहर के लोगो को हाथ में आये दिन मोमबत्ती लिए देखकर यह एक सुपरहिट विचार आया की क्यों न मोमबत्ती का कारखाना ही लगा लू । शहर को भी इसकी आदत पड़ गयी अँधेरा भगाने के लिए नही .... उजियारे चौराहों को और चमकाने की , है न फाएदे का काम यह सोचकर में खुश हुआ पर मेरे एक शहरी मित्र को यह पसंद नही आया फिर उसने ही मुझे यह शहरी राज बताया की अबे इसे रोज रोज कोई नही लेगा ... इसका सीजन चलता है ... मौका रहता है । मैंने कहा यार गाँव के कई घरो में रात को रौशनी नही रहती ... हो सकता है मेरी मोमबत्तिया खरीदकर लोग इन्हें देने लगे ... मेरा मित्र जोर से हँसा और कहा ... यह विशेष मोमबत्तिया रहती है , यह अँधेरा नही भगाती ... यह बस चमकते चौराहों को ही चमकाती है ... फिर भी मेरा जोश इन मोमबत्तियो की संख्या देख कायम है ...आप मेरे पार्टनर बन जाए तो हम मिलकर मोमबत्ती का कारखाना लगाये ... कमाई आधी आधी ... डिमांड देखकर तरह तरह की मोमबत्तिया बनाये ... आयो कुछ कर दिखाए ।
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