खर्चीली शादियों में अनावश्यक खर्च न करके, फंड बनाकर की जा सकती हैं किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित की मदद...
कटनी ( मुरली पृथ्यानी ) गंभीर बीमारी से पीड़ित बाप बेटे की आर्थिक मदद करें, पिता का नाम जियन्द है और बेटे का नाम आशीष है, बेटे आशीष को जन्म से ही शुगर है, पिता मेडिकल कॉलेज में भर्ती है लगभग लकवा ग्रस्त हो गया है और बेटा डॉक्टर डेंगरे के यहां जबलपुर में भर्ती है, झूलेलाल सेवा मंडल ने उनकी आर्थिक मदद की है और भी कई लोगों ने इस परिवार की आर्थिक मदद की है, यह अपील माधवनगर अंतर्गत बाबा नारायण शाह वार्ड के पार्षद श्याम पंजवानी ने सोशल मीडिया पर उनकी तस्वीर जारी करते हुए की है जिसके बाद कई हाथ मदद को बढ़े हैं।
यह किसी भी संवेदनशील व्यक्ति को द्रवित कर सकता है जब सामान्य व्यक्ति या उनके बच्चों पर किसी गंभीर बीमारी का पहाड़ टूट पड़ता है तो उनके परिजनों को दुख में कैसा और कितना संघर्ष करना पड़ता होगा, जाहिर है ऐसे परिवारों को मदद की सख्त आवश्यकता रहती है ऐसे में फिर सोचने पर विवश कर दिया कि समाज में इसे लेकर क्या कोई पुख्ता योजना बनाकर ऐसा फंड नही बनाया जा सकता जिससे अकस्मात किसी भी गंभीर बीमारी से पीड़ित कोई बच्चा कोई महिला कोई व्यक्ति इलाज या उस कठिन समय की जरूरतों पर खर्च करने से वंचित न रह जाए पर यह हो कैसे सकता है ? समाज में बहुत लोग सक्षम हैं और खर्च भी करते हैं लेकिन यह खर्चे व्यक्तिगत स्तर पर किए जाते हैं, देखने में आता है बड़ी शादियों में लाखों रुपए खर्च किए जाते हैं जबकि चार दिन बाद वह शादी शायद उन्हें याद भी नही रहती जिन्हें कार्ड देकर आमंत्रित किया गया होता है, यादगार पल उन्ही के हिस्से में आते हैं जिनकी शादी हुई होती है और उनकी खुशी भी उस खर्च किए गए रुपयों की वजह से तो नही ही होती होगी ऐसे में अगर समाज के संपन्न लोग बड़ी शादियों में अनावश्यक खर्च न करके ऐसे फंड में अपना योगदान दें जो जरूरत पड़ने पर किसी के काम आ सके और किसी की गंभीर बीमारी के खर्चों को पूरा कर सकें तो यह निश्चित ही समाज के लिए भी एक मील का पत्थर साबित हो सकता है।
समाज में बहुत हाथ ऐसे हैं जो मदद के लिए अपने हाथ हमेशा खुले रखते हैं किंतु अगर सिर्फ बड़ी शादियों या अन्य होने वाले आयोजनों के ही कुछ अनावश्यक खर्चे कम कर ऐसा फंड बनाकर खर्च किए जाएं जिससे किसी को इलाज मिल सके तो यह सत्कर्म की श्रेणी में आएगा। समाज की पूज्य पंचायतें इस विषय पर जरूर विचार करें और एक रास्ता बनाकर न सिर्फ कुरूतियों को दूर करने की दिशा में आगे बढ़ सकती हैं बल्कि इस पुण्य योगदान के लाभ से न जाने कितने परिवार दुख की घड़ी में आए संकट से उभर सकते हैं।
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