युवा कांग्रेस के प्रयास - जिला अस्पताल में अब थैलेसीमिया के मरीजों को मिलेगी सुविधा, राज्यसभा सांसद विवेक तंखा ने दी थी सौगात
कटनी ( प्रबल सृष्टि ) स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूती देने के उद्देश्य से जिला चिकित्सालय में ब्लड कम्पोनेंट सेपरेशन यूनिट की शुरुआत हो गई है। इस सुविधा के माध्यम से रक्त के विभित्र घटकों को अलग कर जरूरतमंद मरीजों को सही समय पर उपलब्ध कराया जाएगा। खासतौर पर थैलेसीमिया और गंभीर बीमारियों से ग्रसित बच्चों और मरीजों को इससे बड़ा लाभ मिलेगा। इस पहल से कटनी के सैकड़ों मरीजों को बेहतर इलाज की सुविधा मिलेगी। जिला अस्पताल ने इस सुविधा की जानकारी प्राइवेट अस्पतालों और ब्लड बैंकों को भी दी है, ताकि जरूरत पड़ने पर वहां से भी मरीजों को रिफर किया जा सके। यह कदम उन मरीजों के लिए राहत लेकर आएगा, जो आर्थिक समस्याओं के कारण प्राइवेट अस्पतालों में महंगे इलाज का खर्च नहीं उठा सकते। इस यूनिट में अत्याधुनिक मशीनें लगाई गई हैं, जो तेजी से और सुरक्षित तरीके से रक्त के घटकों को लग कर सकती है। राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने दो साल पहले 30 लाख रुपए लागत से एफासिस मशीन कटनी अस्पताल को दी है, जो अभी तक उपयोग में नहीं लाई जा रही थी।
इस मशीन से ब्लड कंपोनेंट निकालने के लिए लाइन डोनर की जरूरत होती है और प्रक्रिया में लगभग डेढ़ घंटे का समय लगता है। इसके अलावा एक किट की लागत 5 हजार रुपए होती है, जो सिर्फ एक या दो मरीज के लिए ही काम आती है। बजट की कमी के चलते यह मशीन भी फिलहाल अनुपयोगी पड़ी हुई है। अब विभाग इसके उपयोग के लिए भी पहल करेगा। मशीन की स्थापना के लिए युवा कांग्रेस के जिलाध्यक्ष दिव्यांशु मिश्रा अंशु ने भी लगातार प्रयास किए। जिसके परिणामस्वरूप जिला चिकित्सालय को यह सौगात मिल पाई।
लाइसेंस प्रकिया में देरी के कारण आई अड़चन
जिला अस्पताल में ब्लड कंपोनेंट सेप्रेशन यूनिट शुरू करने के लिए लाइसेंस की प्रक्रिया में देरी हुई। दस्तावेजों की कमी और यूनिट के निर्माण में खामियों का हवाला देकर एजेंसी लाइसेंस जारी नहीं कर रही थी। लगभग 3 महीने पहले लाइसेंस की प्रक्रिया पूरी की गई थी, लेकिन सेंटर का संचालन निजी एजेंसी के माध्यम से कराने के कारण देरी हो रही थी। अब सेंटर के शुरू होने से बड़ी राहत मिलेगी।
बताया जाता है कि ब्लड कम्पोनेंट सेपरेशन यूनिट से मरीजों को लाभ मिलेगा। अभी एक डोनर से मिला खून सिर्फ एक मरीज के काम आ रहा है. लेकिन कंपोनेंट यूनिट के जरिए यह खून चार मरीजों के लिए उपयोगी हो सकेगा। प्लाज्मा, प्लेटलेट्स, पीआरबीसी और कार्यों को अलग करने की सुविधा मिलने से बैलेसीमिया, डेंगू, बर्न केस, मलेरिया, एनीमिया और प्लेटलेट्स की कमी वाले मरीजों का बेहतर इलाज संभव होगा। यूनिट शुरू होने से मरीजों को अब अन्य शहरों का रुख नहीं करना पड़ेगा, जिससे समय और पैसे दोनों की बचत होगी।
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