कटनी - कमिश्नर जबलपुर संभाग राजेश बहुगुणा ने कहा कि स्वच्छता के कार्यों में सामुदायिक भावना और सहभागिता का होना नितांत जरुरी है। विद्यालयीन परिवेश और पर्यावरण का बच्चों के मन में गहरा असर होता है। स्वच्छता के संस्कार विद्यार्थी के जीवनशैली का हिस्सा बन जाते हैं। कटनी में मंगलवार को शालेय स्वच्छता-समस्या एवं समाधान विषय पर आयोजित कार्यशाला में कमिश्नर ने कहा कि शिक्षक और छात्र एक साथ मिलकर विद्यालय परिवेश को स्व्च्छ और स्वस्थ्य रखने का कार्य करते हैं, तो इसमें बुराई नहीं है। कार्यशाला में कलेक्टर शशिभूषण सिंह, वनमण्डलाधिकारी ए0के0 राय, सीईओ जिला पंचायत जगदीश चन्द गोमे, संयुक्त कमिश्नर अरविन्द यादव, संयुक्त संचालक शिक्षा राजेश तिवारी सहित जनपद के सीईओ, बीआरसी, बीएसी, जिला समन्वय एसबीएम आनन्द पाण्डे, जिला शिक्षा अधिकारी बी0बी0 दुबे, यूनिसेफ से सारस्वत नायक सहित मीडिया प्रतिनिधि भी उपस्थित थे।
कमिश्नर राजेश बहुगुणा ने कहा कि विद्यार्थी अपने शिक्षक को रोल मॉडल मानते हैं और शिक्षक के आचरण संस्कार का बहुधा अनुसरण भी करते हैं। उन्होने कहा कि सामुदायिक भावना से अपनेपन के साथ कार्य को सहभागिता से करने पर किसी व्यक्ति को आपत्ति नहीं हो सकती। पिछले वर्षों की तुलना में विद्यालयों में अधोसंरचना सहित अन्य सुविधाओं के विस्तार विकास के काफी प्रयास किये गये हैं। उपलब्ध संसाधनों का बेहतर उपयोग हो तथा विद्यालय को शिक्षा का मंदिर मानकर साफ, स्वच्छ परिवेश रखने के प्रयासों में पालक शिक्षक संघ की सहभागिता भी ली जा सकती है। कमिश्नर ने कहा कि शालायें वस्तुतः ग्राम पंचायतों की ही सम्पत्ति होती हैं। पंचायतें पंच परमेश्वर या अन्य पंचायती मद से विद्यालयों के रख रखाव, संधारण कार्य करा सकती हैं।
कलेक्टर शशिभूषण सिंह ने कहा कि स्वच्छता के विषय में पिछले 5-6 वर्षों से व्यापक जागरुकता आई है। उसके परिणाम भी मिल रहे हैं। उन्होने कहा कि स्वच्छता एक मानसिकता है, लाईफ स्टाईल है, बच्चों में स्वच्छता के संस्कार डाले जायेंगे, तो यह उनकी जीवन शैली का अंग बनेगी। कलेक्टर ने कहा कि शासन की ओर से शासकीय शालाओं में पर्याप्त सुविधायें मुहैया कराई गई हैं। लोग विद्यालयों से प्रेरणा लेते हैं। विद्यालयों का परिवेश और परिसर स्वच्छ रहेगा, तभी लोग अच्छी प्रेरणा ले सकते हैं। कलेक्टर ने कहा कि बच्चों को स्कूल से कैसे जोड़ें, और ज्यादा समय तक स्कूल में रखें, इसके लिये विद्यालय का परिवेश बच्चों के अनुकूल स्वच्छ, स्वस्थ्य होना जरुरी है। उन्होने कहा कि पीटीए की बैठक लेकर अभिभावकों और मैदानी कर्मचारियों को विद्यालयीन गतिविधियों से समय-समय पर अवगत करायें। सबकी सहभागिता से आरोप-प्रत्यारोप नहीं लगेंगे तथा परिणाम भी बेहतर मिलेंगे। कार्यक्रम का शुभारंभ महात्मा गांधी के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन कर किया गया। द्विपक्षीय कार्यशाला में अधिकारियांे और मीडिया प्रतिनिधियों के विचार साझा किये गये तथा बेहतर शाला परिवेश के संबंध में सुझाव भी लिये गये।
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