कलेक्टर ने ओपीडी के पंजीयन कक्ष और चिकित्सक कक्ष एवं निःशुल्क दवा वितरण काउंटर का निरीक्षण कर सिविल सर्जन को निर्देशित किया कि ओपीडी के बरामदे में ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर्स के नाम ड्यूटी चार्ट बोर्ड लगाकर प्रदर्शित करें। ताकि मरीज जान सकें कि किस डॉक्टर की ओपीडी में कब तक ड्यूटी है।
कलेक्टर ने विकलांग पुर्नवास केन्द्र द्वारा संचालित दिव्यांगजनों को मेडिकल सर्टिफिकेट जारी करने बनाये गये परीक्षण कक्ष का निरीक्षण किया। यहां कक्ष के प्रशासनिक अधिकारी वीरेन्द्र पाटिल के अनुपस्थित पाये जाने और पिछले डेढ़ माह से ड्यूटी पर अनुपस्थित रहने की शिकायत पर उप संचालक सामाजिक न्याय को कार्यवाही करने के निद्रेश दिये। मेडिकल बोर्ड के प्रमाण पत्र तैयार करने संबंधी प्रकोष्ठ में कलेक्टर को बताया गया कि जिले में 12 हजार 762 दिव्यांगजनों के यूडीआईडी कार्ड जनरेट किये गये हैं। जिनका शत्-प्रतिशत
वितरण नहीं हुआ है। कलेक्टर ने शेष बचे यूडीआईडी कार्ड को जनरेट कर ग्राम पंचायत के माध्यम से वितरित करने के निर्देश दिये। नेत्र रोग कक्ष के निरीक्षण के दौरान बताया गया कि प्रतिमाह औसत 15 मरीजों के नेत्र ऑपरेशन किये जाते हैं। जबकि प्रतिदिन की ओपीडी में 50-60 मरीजों की है। टीकाकरण कक्ष के दौरान कलेक्टर ने कोल्ड चैन और पेन्टावैलेण्ट तथा हेपेटाईटिस बी के टीके चैक किये। पैथालॉजी के निरीक्षण के दौरान कलेक्टर ने रिपोर्ट ऑनलाईन जनरेट करने के निर्देश दिये। ताकि रिकॉर्ड सुरक्षित रखे जा सकें।
कलेक्टर ने मैटरनिटी वॉर्ड और पीएनसी कक्ष का भी जायजा अपने निरीक्षण में लिया। उन्होने प्रसूता माताओं से कहा कि अस्पताल में भर्ती होते समय ही मजदूर पंजीयन के संबल कार्ड, आधार कार्ड, बैंक खाते आदि की जानकारी जमा कराई जाये। ताकि अस्पताल से डिस्चार्ज होते समय ही प्रसूति योजना के तहत दी जाने वाली राशि खाते जमा की जा सके।
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