
संजय कुमार शुक्ल ने कंपनियों को अपने-अपने कॉल-सेंटर में कार्मिकों की संख्या में बढ़ोत्तरी करते हुए टेलीफोन लाइनों में वृद्धि करने के लिये भी कहा है। कॉल-सेंटर की प्रत्येक घंटे में मॉनीटरिंग की जाए और विश्लेषण किया जाए कि उपभोक्तओं की कितनी समस्या का निराकरण किया गया है। पानी भराव के क्षेत्र में सुरक्षा की दृष्टि से विद्युत ट्रांसफार्मर एवं लाइनों की विशेष रूप से निगरानी की जाए, जिससे कि बिजली आपूर्ति सुचारू बनी रहे और कोई दुर्घटना की आशंका न रहे।
उन्होंने मैदानी क्षेत्र में फ्यूज कॉल की शिकायत के निवारण के लिए तकनीकी कार्मिकों की संख्या तुरंत बढ़ाने और संख्या में सुपरवाइजरी स्टाफ तैनात करने के लिये भी कहा। उपभोक्ताओं को कॉल-सेंटर के टोल-फ्री नंबर 1912 की जानकारी दी जाए। श्री शुक्ल ने कहा कि बिजली आपूर्ति की सुनिश्चितता के लिए वाहन, फ्यूज ऑफ कॉल वाहन, हाइड्रोकालिक और सीढ़ीयुक्त वाहनों की संख्या बढ़ाकर सुधार कार्य किए जाएं। बिजली लाइन में व्यवधान बन रही पेड़ एवं टहनियों को काटने के लिए पावर हैकसॉ मशीन का उपयोग किया जाए। बिजली सुधार में लगे वाहनों में जीपीएस (ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्ट्म) लगाए जाएं, जिससे उनका उपयोग संभव हो।
उन्होंने वितरण केन्द्र तथा जोन कार्यालयों में भी कॉल-सेंटर की तरह शिफ्ट ड्यूटी की व्यवस्था करने तथा मैदानी कार्मिकों के लिए विशेष ड्रेस लागू करने के निर्देश भी दिये। इसके लिए रेडियम युक्त जैकेट कार्मिकों को प्रदान की जाए।
विद्युत वितरण कंपनियों से कहा गया कि वे बिजली व्यवधान एवं सुचारू आपूर्ति की सूचना उपभोक्ताओं को देने के लिए एफएम चैनल, केबल टीवी तथा ऊर्जा मित्र एप का प्रभावी उपयोग करें। साथ ही जिला एवं नगरीय प्रशासन एवं जन-प्रतिनिधियों तथा विद्युत अभियंताओं से बेहतर समन्वय बना कर कार्य करें।
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